बच्चों तुम हो जान मेरी | Bachcho par kavita
बच्चों तुम हो जान मेरी
( Bachcho tum ho jaan meri )
बच्चों तुम हो जान मेरी
तुम में ही भारत बसता है
खुशी बाँटते इन चेहरों से
हर जर्रा जर्रा हँसता है
देश के तुम हो प्रतिनिधि
तुम में बसती हर निधि विधि
बनोगे तुम भाल इस देश का
अर्जित होगी कई नई सिद्धी
ज्ञान चक्षु खुला रखने वाला
नहीं कभी खड्डे में धंसता है
बच्चों तुम हो जान मेरी
तुम में ही भारत बसता है
बनना है तुमको भाग्य भाल
तोड़े अभिमन्यु चक्र चाल
बंद मुट्ठी बनकर के तुम रहना
दुश्मन मिलायें कदम ताल
हारकर भी दिल जीत लेना
भारत की यही तो दक्षता है
बच्चों तुम हो जान मेरी
तुम में ही भारत बसता है
आकाश तेरी बाँहों में होगा
ना कोई कंटक राहों में होगा
सदाचार की बढ़ा उष्णता
वो सूरज भी छाहों में होगा
छलाँग लगाके नापा चंद्र को
दिनकर भी हमारी क्षमता है
बच्चों तुम हो जान मेरी
तुम में ही भारत बसता है
रचनाकार : शांतिलाल सोनी
ग्राम कोटड़ी सिमारला
तहसील श्रीमाधोपुर
जिला सीकर ( राजस्थान )