Banaras par Kavita
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बनारस

( Banaras ) 

 (भाग -1)

 

भोले का दरबार बनारस,
जीवन का है सार बनारस।
विश्व मशहूर सुबह-ए-बनारस,
देखो अस्सी घाट बनारस।

संस्कृति का श्रृंगार बनारस,
मुक्ति का है द्वार बनारस।
होता है अध्यात्म का दर्शन,
भक्ति का संसार बनारस।

प्रथम सभ्यता का उद्गम,
तीर्थों का है तीर्थ बनारस।
है त्रिशूल पे टिकी काशी,
ऋषियों का वरदान बनारस।

गंगा जल है अमृत जैसा,
देवों का अवतार बनारस।
ज्योतिर्लिंग मोक्ष दिलाता,
समझो तारणहार बनारस।

अल्हड़ लहरें नजर चुरातीं,
सॄष्टि का आधार बनारस।
दिव्य आरती मोक्ष दायिनी,
अजान,आरती,पुरान बनारस।

गंगा में है विश्व समाया,
जीवन का जलधार बनारस।
आय- अनार्य, वैष्णव -शैव,
भेद न करता कभी बनारस।

तुुलसी मंदिर, संकटमोचन,
सर्व ज्ञान का केन्द्र बनारस।
हस्त शिल्प,स्वर्ण आभूषण,
सदियों से राजेन्द्र बनारस।

कचौड़ी गली की बात निराली,
खानपान की जगह बनारस।
रबड़ी, लस्सी, दही, मलाई,
इसका तो संसार बनारस।

लिट्टी- चोखा और ठंडई,
गोलगप्पा दिलदार बनारस।
बैंगन,कलाैंजी,परवल सब्जी,
लाैंगलता वो चाट बनारस।

रस से भरी गरम जलेबी,
कितना जायकेदार lबनारस।
पीते हैं जब लोग भांग,
होली का हुड़दंग बनारस।

पिस रहा जग लालच में,
भवबाधा से दूर बनारस।
कितने देखो वहाँ ब्रह्म लीन,
अंतरगत का भाव बनारस।

कण-कण में व्याप्त सदाशिव,
हर – हर महादेव बनारस।
यम की त्रास मिटानेवाला,
मुक्ति का वो धाम बनारस।

 

रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक), मुंबई

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