कलरव | Karlav par Kavita
कलरव
( Karlav )
आज मनवा चहक रहा है चमन सारा महक रहा है।
खिल गई कलियां सारी आंगन सारा चहक रहा है।
डाल डाल पे पंछी कलरव कोयल कूक रही प्यारी।
वृक्ष लताएं सब लहराई उमंगों भरी कलियां सारी।
तितली उड़ती भंवरे गाते मनमयूरा झूमके नाचे।
पंछी परवाज मौज भरे पुष्प मोहक उपवन राचे।
वादियां उल्लासित सौरभ खग वृंद झूमते मस्ती में।
चिड़िया चहकी बागों में खुशियों की लहरें बस्ती में।
राग रागिनी तान छेड़े जब पंछी कलरव गाते हैं।
दिवाली सी छा जाती हर चेहरे जब मुस्काते हैं।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )