बज़्म में ऐसा ख़ूब हुआ | Bazm Shayari

बज़्म में ऐसा ख़ूब हुआ

( Bazm me aisa khoob hua )

 

 

बज़्म में ऐसा ख़ूब हुआ

शे’र पे चर्चा ख़ूब हुआ

कैसे उससे मिलना हो

घर पर पहरा ख़ूब हुआ

जिससे दिल का रिश्ता था

ग़ैर वो चेहरा ख़ूब हुआ

छोड़ दिया अपनों ने साथ

दिल यह तन्हा ख़ूब हुआ

छाया उस पे ग़ुरूर बहुत

घर में पैसा ख़ूब हुआ

टूट गया हर इक रिश्ता

सबसे झगड़ा ख़ूब हुआ

फूल वफ़ा का मुरझाया

आजम धोखा ख़ूब हुआ।

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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