मैं निगाहें प्यार की उससे मिलाता ही रहा | Beautiful ghazal in Hindi
मैं निगाहें प्यार की उससे मिलाता ही रहा
( Main nigahen pyaar ki usase milata hi raha )
मैं निगाहें प्यार की उससे मिलाता ही रहा
नफ़रतों के तीर मुझपे वो चलाता ही रहा
डूबा है इतना नजाक़त में वही अपनी ख़ुद में
वो मज़ाक मेरी मुहब्बत की उड़ाता ही रहा
वो हक़ीक़त में आता मिलनें नहीं मुझसे कभी
रात भर वो ख़्वाब में आकर सताता ही रहा
गुफ़्तगू करने गया ज़ब भी मैं उससे प्यार की
यार वो अपनें गिले शिकवे सुनाता ही रहा
देखली है रिश्तेदारी उसकी कल यारों मैंनें
बेबसी पे रोज़ मेरी मुस्कुराता ही रहा
ख़्वाब में आता रहा है और भी मेरे चेहरा
और मैं दिल से उसे अपनें भुलाता ही रहा
प्यार के करता रहा उसको इशारे मैं बहुत
और आज़म से निगाहें वो चुराता ही रहा
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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