भावना | Bhavna
भावना
( Bhavna )
भावनाएं ही मूल हैं
जीवन की सार्थकता मे
आपसी संबंधों का जुड़ाव
लगाव,प्रेम,द्वेष ,ईर्ष्या,नफरत
सभिक्रियाओं का उधमस्थल
भावनाएं ही तो हैं ….
भावना की मधुरता मे जहां
रिश्ते फलते फूलते और
पल्लवित होते हैं, वहीं
मारी हुई भावनाएं
इंसान को दानावपन की और
अग्रसित करती हैं…..
भावनाएं बंधन भी हैं
और महाभारत की जन्मदात्री भी
हृदय मे इनका अपना
एक अलग ही संसार बसता है
जहां ,दवानल भी है और गंगा की शीतलता भी
सूर्य सा प्रकाश भी है
और अमावस की रात भी…
मनुष्य ही नही पशु पक्षी भी
अछूते नही इस भावना की प्रमुखता से
यही दर्शाती भी है आपके मिले
संस्कार ,परिवेश ,व्यवहार आदि को भी
और इसी से आपके व्यक्तित्व की
पहचान भी होती है…
( मुंबई )