हो शालू | Bhojpuri kavita ho Shalu
हो शालू!
( Ho Shalu )
झमकावेलू,
आंख देखावेलू
लचकावेलू,
मटकावेलू
धमकावेलू,
महटियावेलू
ना आवेलू,
अंठियावेलू
सुनावेलू,
सतावेलू।
( Ho Shalu )
झमकावेलू,
आंख देखावेलू
लचकावेलू,
मटकावेलू
धमकावेलू,
महटियावेलू
ना आवेलू,
अंठियावेलू
सुनावेलू,
सतावेलू।
करवा चौथ ( Hindi poem On karwa chauth ) चाँद का कर लूं सनम दीदार मैं प्यार से जो बंधा करवा चौथ है उसकी चूड़ी उसकी देखो बिंदिया मुस्कुराती सूरत करवा चौथ है हो गया दीदार अपनें चाँद का प्यार का आया वो करवा चौथ है सज गयी है चाँद की …
हाथरस की भीड़ में हाथरस की भीड़, में शून्य हुआ जीवन रस अंधविश्वासी बनकर बाबा के दरबार में मैं तो नत मस्तक करने गई थी। अपनों के पास पहुंचने से पहले मैं बाबा धाम पहुंच चुकी थी। सुलझाने कुछ समस्या उलझन में सांसे फस गई थी अंधविश्वासी बनकर मैं तो बाबा के दरबार में गई…
वह गमों में भी मुस्कुराती है ( Wo ghamon mein bhi muskurati hai ) हंसकर कहकहा लगाती है गम अमृत समझ पी जाती है बहते नीरो को छिपा जाती है सुनकर भी सब दबा जाती है निष्ठा से फिर खड़ी हो जाती क्योंकि वह सब भाप जाती है शांति के लिए सह जाती है…
दहेज ( Dahej ) सोना कहत सोनार से कि,गहना बना द, और उ गहनवा से, गोरी के सजा द। गोरी कहे बाबू से कि, सेनुरा दिला द, सेनुरा के भाव बढल, माहुर मगा द। दुल्हा बिकात बाटे, चौक चौराहा पे, कैसे खरीदे कोई, भीख के कटोरा के। खेतवा बिकाई बाबू ,भाई…
गणतंत्र दिवस ( India Republic Day ) भारत माता के मस्तक पर, रोली अक्षत चंदन की। संविधान के पावन पर्व पर, वंदन और अभिनंदन की। वर्षों के तप और धैर्य से, वीरों के लहू और शौर्य से, माताओं के जिन पुत्रों ने, चलना सही न सीखा था, अंग्रेजों से लड़ लड़ कर, ये…
प्रकृति ( Prakriti ) इस प्रकृति की छटा है न्यारी, कहीं बंजर भू कहीं खिलती क्यारी, कल कल बहती नदियां देखो, कहीं आग उगलती अति कारी। रूप अनोखा इस धरणी का, नीली चादर ओढ़े अम्बर, खलिहानों में लहलाती फसलें, पर्वत का ताज़ पहना हो सर पर। झरनों के रूप में छलकता यौवन,…
करवा चौथ ( Hindi poem On karwa chauth ) चाँद का कर लूं सनम दीदार मैं प्यार से जो बंधा करवा चौथ है उसकी चूड़ी उसकी देखो बिंदिया मुस्कुराती सूरत करवा चौथ है हो गया दीदार अपनें चाँद का प्यार का आया वो करवा चौथ है सज गयी है चाँद की …
हाथरस की भीड़ में हाथरस की भीड़, में शून्य हुआ जीवन रस अंधविश्वासी बनकर बाबा के दरबार में मैं तो नत मस्तक करने गई थी। अपनों के पास पहुंचने से पहले मैं बाबा धाम पहुंच चुकी थी। सुलझाने कुछ समस्या उलझन में सांसे फस गई थी अंधविश्वासी बनकर मैं तो बाबा के दरबार में गई…
वह गमों में भी मुस्कुराती है ( Wo ghamon mein bhi muskurati hai ) हंसकर कहकहा लगाती है गम अमृत समझ पी जाती है बहते नीरो को छिपा जाती है सुनकर भी सब दबा जाती है निष्ठा से फिर खड़ी हो जाती क्योंकि वह सब भाप जाती है शांति के लिए सह जाती है…
दहेज ( Dahej ) सोना कहत सोनार से कि,गहना बना द, और उ गहनवा से, गोरी के सजा द। गोरी कहे बाबू से कि, सेनुरा दिला द, सेनुरा के भाव बढल, माहुर मगा द। दुल्हा बिकात बाटे, चौक चौराहा पे, कैसे खरीदे कोई, भीख के कटोरा के। खेतवा बिकाई बाबू ,भाई…
गणतंत्र दिवस ( India Republic Day ) भारत माता के मस्तक पर, रोली अक्षत चंदन की। संविधान के पावन पर्व पर, वंदन और अभिनंदन की। वर्षों के तप और धैर्य से, वीरों के लहू और शौर्य से, माताओं के जिन पुत्रों ने, चलना सही न सीखा था, अंग्रेजों से लड़ लड़ कर, ये…
प्रकृति ( Prakriti ) इस प्रकृति की छटा है न्यारी, कहीं बंजर भू कहीं खिलती क्यारी, कल कल बहती नदियां देखो, कहीं आग उगलती अति कारी। रूप अनोखा इस धरणी का, नीली चादर ओढ़े अम्बर, खलिहानों में लहलाती फसलें, पर्वत का ताज़ पहना हो सर पर। झरनों के रूप में छलकता यौवन,…
करवा चौथ ( Hindi poem On karwa chauth ) चाँद का कर लूं सनम दीदार मैं प्यार से जो बंधा करवा चौथ है उसकी चूड़ी उसकी देखो बिंदिया मुस्कुराती सूरत करवा चौथ है हो गया दीदार अपनें चाँद का प्यार का आया वो करवा चौथ है सज गयी है चाँद की …
हाथरस की भीड़ में हाथरस की भीड़, में शून्य हुआ जीवन रस अंधविश्वासी बनकर बाबा के दरबार में मैं तो नत मस्तक करने गई थी। अपनों के पास पहुंचने से पहले मैं बाबा धाम पहुंच चुकी थी। सुलझाने कुछ समस्या उलझन में सांसे फस गई थी अंधविश्वासी बनकर मैं तो बाबा के दरबार में गई…
वह गमों में भी मुस्कुराती है ( Wo ghamon mein bhi muskurati hai ) हंसकर कहकहा लगाती है गम अमृत समझ पी जाती है बहते नीरो को छिपा जाती है सुनकर भी सब दबा जाती है निष्ठा से फिर खड़ी हो जाती क्योंकि वह सब भाप जाती है शांति के लिए सह जाती है…
दहेज ( Dahej ) सोना कहत सोनार से कि,गहना बना द, और उ गहनवा से, गोरी के सजा द। गोरी कहे बाबू से कि, सेनुरा दिला द, सेनुरा के भाव बढल, माहुर मगा द। दुल्हा बिकात बाटे, चौक चौराहा पे, कैसे खरीदे कोई, भीख के कटोरा के। खेतवा बिकाई बाबू ,भाई…
गणतंत्र दिवस ( India Republic Day ) भारत माता के मस्तक पर, रोली अक्षत चंदन की। संविधान के पावन पर्व पर, वंदन और अभिनंदन की। वर्षों के तप और धैर्य से, वीरों के लहू और शौर्य से, माताओं के जिन पुत्रों ने, चलना सही न सीखा था, अंग्रेजों से लड़ लड़ कर, ये…
प्रकृति ( Prakriti ) इस प्रकृति की छटा है न्यारी, कहीं बंजर भू कहीं खिलती क्यारी, कल कल बहती नदियां देखो, कहीं आग उगलती अति कारी। रूप अनोखा इस धरणी का, नीली चादर ओढ़े अम्बर, खलिहानों में लहलाती फसलें, पर्वत का ताज़ पहना हो सर पर। झरनों के रूप में छलकता यौवन,…