हो शालू | Bhojpuri kavita ho Shalu
हो शालू!
( Ho Shalu )
झमकावेलू,
आंख देखावेलू
लचकावेलू,
मटकावेलू
धमकावेलू,
महटियावेलू
ना आवेलू,
अंठियावेलू
सुनावेलू,
सतावेलू।

( Ho Shalu )
झमकावेलू,
आंख देखावेलू
लचकावेलू,
मटकावेलू
धमकावेलू,
महटियावेलू
ना आवेलू,
अंठियावेलू
सुनावेलू,
सतावेलू।

सुकून की जिंदगी ( Sukoon ki zindagi ) मनहरण घनाक्षरी दो घड़ी पल सुहाने, सुकून से जीना जरा। गमों का भी दौरा आये, हंस हंस पीजिए। सुख से जियो जिंदगी, चैन आए जीवन में। राहत भरी सांस ले, खूब मजा लीजिए। भागदौड़ सब छोड़, होठों से मुस्कुराइये। सुकून की सांस मिले, जियो…

बिन ठोकर के अक्ल न आती ( Bin thokar ke akal nahi aati ) गुरु का डंडा और राह की ठोकर, दोनों दरवाजे कामयाबी खोलती। जिस जिसको भी लगा यह दोनों, उसे मंजिल तक पहुँचाकर रहती।। बदल ही जाती तकदीर सभी की, कलम फिर सरपट चलने लगती। तलाश ना करो तुम मुस्कराने की, बिन…

भारत का डंका ( Bharat ka danka ) भारत का डंका बजता था, विश्व गुरु कहलाता था। मेरा देश स्वर्ण चिड़िया, कीर्ति पताका लहराता था। ज्ञान विज्ञान धर्म आस्था, नीति नियम योग आचार। मानवता प्रेम समर्पण, जन-जन भरा था सदाचार। कला कौशल वीरता भरी, स्वाभिमान सिरमौर रहा। संत सुरों की पावन भूमि, ज्ञान भक्ति…

रक्षाबंधन का बसंत ( Raksha Bandhan ka Basant ) अब न रिस्तों का होगा अंत रक्षा बंधन का आया है ले लेकर खुशियों का बसंत अब न रिस्तों का होगा अंत। रंग बिरंगे उन धागों का गुच्छ अनोखा अनुरागों का, गांठ बांध कर प्रीति सजाकर अरुण भाल पर तिलक लगाकर, दीप जलाकर…

बिन्दु ( Bindu ) ग्रह नक्षत्र योग कला विकला दिग्दिगन्त हैं। बिन्दु मे विलीन होते आदि और अंत हैं।। अण्डज पिण्डज स्वेदज उद्भिज्ज सृजाया है, बिंदु में नित रमण करें ब्रह्म जीव माया है। सकल महाद्वीप महासिंन्धु श्रृंग गर्त न्यारे, अपरिमित निराकार चिन्मय स्वरूप प्यारे।। त्रिगुणी प्रकृति ग्रीष्म शीत पावस बसंत हैं।। बिन्दु में०।।…

व्यवहार ( Vyavhar ) आपका व्यवहार ही करता है निर्माण आपके चरित्र का डिग्रियां और ओहदे तो केवल आपकी पहचान भर ही कराते हैं व्यावहारिकता को किसी प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होती उसे तो आपके संस्कार ही प्रमाणित करते हैं और वे केवल आपको ही नहीं बल्कि आपके खानदान की गुणवत्ता के भी…