मेरी जन्मभूमि स्वर्ग समान | Janambhoomi par Kavita
मेरी जन्मभूमि स्वर्ग समान
( Meri Janambhoomi swarg saman )
वीरों रणवीरो की जननी हम सबका अभिमान है।
हरी-भरी महकती क्यारी ये धरती स्वर्ग समान है।
उत्तर हिमालय...
महज | Poem in Hindi on Mahaj
महज
( Mahaj )
महज रख देते हाथ कंधों पे,
दर्द ए पीर सब हवा हो जाती,
ना गम का होता ठिकाना कहीं,
ना हालत कहीं ये बिगड़ पाती।
महज...
फागुन पर कविता | Poem in Hindi on Phagun
फागुन पर कविता
( Phagun Par Kavita )
देखो फागुन आया है छटा में रंग छाया है
खिली पलाश पर योवन आया है।
गीत बसंत का हर दिल...
मौन निमंत्रण | Kavita Maun Nimantran
मौन निमंत्रण
( Maun nimantran )
मुझे क्या पता!
वह सामने था लिए
कुछ भाव भरा
संदेश खड़ा,
किंतु मैं पूछ पड़ा
तुम कौन यहां ?
क्या कर रहा है? भला,
मुझसे क्या...
गणगौर त्योहार | Gangaur Tyohar par Kavita
गणगौर त्योहार
( Gangaur tyohar )
ईसर गौरी की पूजा होती पावन गणगौर का त्योहार।
गोरी सज धज शिव शंकर को वंदन करती बारंबार।
कुंवारी कन्याएं सोलह...
कैसे हो | Hasya Ras ki Kavita
कैसे हो
( Kaise ho )
दांत में दर्द हो रहा बेशुमार
चला गया डॉक्टर के द्वार
इलाज करवाना है पैसे दो
उखाड़े दांत बोला कैसे हो
परीक्षा पेपर मिला...
मैं प्रीत बुनता हूं मैं प्यार बुनता हूं | Poem main...
मैं प्रीत बुनता हूं मैं प्यार बुनता हूं
( Main preet bunta hoon main pyar bunta hoon )
मैं प्रीत बुनता हूं मैं प्यार बुनता हूं।
गीतो...
जाते हुए लम्हें | Poem Jaate Hue Lamhe
जाते हुए लम्हें!
( Jaate hue lamhe )
ख्वाहिशों की ये बारिश देर तक नहीं टिकती,
रितु चाहे हो कोई देर तक नहीं टिकती।
लूटो नहीं दुनिया को...
त्याग निद्रा,जाग मुसाफिर | Poem Jaag Musafir
त्याग निद्रा,जाग मुसाफिर
( Tyag nidra jaag musafir )
बीती रात ,हुआ सवेरा
पक्षी कुल का, हुआ बसेरा
कैसे लक्ष्य,तय होगा फिर
त्याग निद्रा,जाग मुसाफिर,
सोकर कौन? कर पाया क्या?
बैठ...
राजा रंक सभी फल ढोते | Kavita Raja Runk
राजा रंक सभी फल ढ़ोते
( Raja runk sabhi phal dhote )
राजा रंक सभी फल ढ़ोते,
होता कर्ज़ चुकाना।
कर्मों के अनुसार जीव को,
पड़े दंड भुगताना।।
मानव दानव...