मकरसंक्रांति का उल्लास
मकरसंक्रांति का उल्लास सोचा था इस बार तेरे संग पतंग उड़ाऊं,तेरे हाथों से डोर थाम, सपनों को आसमान में ले जाऊं।आसमान संग हमारी खुशी को मैं जीता जाऊं,तेरे साथ हर पल को मैं सजीव बनाऊं। सूरज की किरणों में तेरी मुस्कान को पाऊं,तेरी हंसी की मिठास से, मैं दिन को सजाऊं।दिल की रोशनी से हमारा…