और जीवन

और जीवन | Jeevan par kavita

“और जीवन“ ( Aur jeevan )   ऐषणाओं के सघन घन और जीवन। आनुषांगिक भी न हो पाया अकिंचन और जीवन। शांत पानी इतने कंकड़। अंधड़ो की पकड़ में जड़, आत्मा ह्रासित हुई बस रह गया तन और जीवन।। ऐषणाओं.. कहते हैं सबकुछ यहां है, यहां है तो फिर कहां है इतनी हरियाली में बसते…

चौखट

चौखट | Chaukhat Kavita

चौखट ( Chaukhat ) *** घर के बीचों-बीच खड़ा, मजबूती से अड़ा। आते जाते लोग रौंदते, चप्पल जूते भी हैं घिसते; ‘चौखट’ उसे हैं कहते । घरवालों की मान का रक्षक ‘चौखट’ लोक लाज की रखवाली और – है मर्यादा का सूचक! ‘चौखट’ सुनकर कितने गाली, ताने, रक्षा करे, न बनाए बहाने ! धूप ,…

सीएसए प्रमुख बनीं लीजा कैंपबेल

सीएसए प्रमुख बनीं लीजा कैंपबेल | Political kavita

सीएसए प्रमुख बनीं लीजा कैंपबेल ******* कैंपबेल को मिली है- कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी की कमान, विज्ञान मंत्री नवदीप बैंस ने जारी किया है फरमान। सीएसए की कमान संभालने वाली पहली महिला होंगी, यह उनके लिए गर्व की बात होगी। लंबे समय तक लोकसेवा से जुड़ी रहीं है अब सिल्वेन लापोर्टे का स्थान ले रही हैं।…

जन करीं लापरवाही ! ( भोजपुरी भाषा में )

जन करीं लापरवाही ! ( भोजपुरी भाषा में ) | Bhojpuri mein kavita

जन करीं लापरवाही ! ( भोजपुरी भाषा में ) ***** ए भाई ! कोरोना बावे कि गईल? बाजार में भीड़ देख के लागता- कुछु नइखे भईल । सभे लोग बा ढीठ हो गईल , लागता छोड़ावे पड़ी सभन के मईल; कह#ता की बचे के का# बा#? अब कुछुओ नइखे धईल । ना मास्क पहिरता लोग,…

हिंदी दिवस

हिंदी दिवस | Hindi diwas kavita

हिंदी दिवस ( Hindi diwas )   मै हाल-ए-दिल अपना किसको सुनाऊँ, अपनी घुटन को कहाँ ले के जाऊँ। बुलंदी पे अपना कभी मर्तबा था , मै चाहू उसे फिर भी वापस ना पाऊँ । मै हिन्दी हूँ ,मुझको किया गैर सबने, मै अपनो की जिल्लत को कैसे भुलाऊँ । एक शाम मै बहुत खुश…

सत्यमेव जयते

सत्यमेव जयते | Satyameva Jayate | kavita

सत्यमेव जयते ( Satyameva Jayate ) ***** डाॅ० कफिल की रिहाई, मीडिया में है छाई। यह बात फिर उभरकर आई, सत्य परेशान हो सकता है- पराजित नहीं भाई । यह कोई नहीं बात नहीं सैकड़ों ऐसे किस्से है सदियों सुने , सुनाए जा रहे हैं। फिर भी वही गलती सब दोहराए जा रहे हैं। ताज़ा…

पौधे देख सुन सकते हैं

पौधे देख सुन सकते हैं | Poem on plant in Hindi

पौधे देख सुन सकते हैं ( Paudhe dekh sun sakte hain ) *****   देख सुन और बात है करते! पौधे ! क्या आप हैं जानते ? क्या? हां ,सही सुना आपने- यह सत्य भी है भैया, यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न आस्ट्रेलिया की मोनिका गागलियानों ने है साबित किया। पहले तो थे यही जानते, पौधे हंसते…

प्रकृति की सीख

प्रकृति की सीख | Poem prakriti ki seekh

प्रकृति की सीख ( Prakriti ki seekh )   बदलना प्रकृति की फितरत फिर क्यों इंसान हिस्सेदार हैं। प्रकृति के बदलने में कहीं ना कहीं इंसान भी बराबर जिम्मेदार हैं।   जैसे तप और छाया देना प्रकृति का काम हैं। वैसे ही कभी खुशी कभी गम, जिंदगी का नाम हैं।   कभी कबार पूछता, आसमां…

सब मौन क्यों ?

सब मौन क्यों | Poem sab maun kyon

सब मौन क्यों ? ( Sab maun kyon ) *****  गिरी जीडीपी! बढ़ी महंगाई, डीजल पेट्रोल के मूल्य हैं हाई। कोरोना का हुआ आगमन, ताली थाली से हुआ स्वागतम! पहले शर्माया, फिर पूरी तैयारी कर आया। अब कहर ढा रहा है, दिनों-दिन रूला रहा है। बढ़ी हुई है बेकारी, चहुंओर है मारामारी। युवाओं की है…

अनलाॅक 4.0

अनलाॅक 4.0 | Kavita unlock 4.0

अनलाॅक 4.0 ( Unlock 4.0 ) *** लाॅकडाउन से छुटकारा मिला है, कोरोना से नहीं! बाजार जाएं शौक से पर बरतें सावधानियां कई? बात नहीं है कोई नई, सारी हैं वही। लापरवाही पड़ सकती है भारी, निकल जाएगी सारी होशियारी। संक्रमण से रहना है बचकर, तो निकलो मास्क पहनकर। व्यक्तिगत दूरी का भी रखें ख्याल,…