जन करीं लापरवाही ! ( भोजपुरी भाषा में )
जन करीं लापरवाही ! ( भोजपुरी भाषा में )

जन करीं लापरवाही ! ( भोजपुरी भाषा में )

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ए भाई !
कोरोना बावे कि गईल?
बाजार में भीड़ देख के लागता-
कुछु नइखे भईल ।
सभे लोग बा ढीठ हो गईल ,
लागता छोड़ावे पड़ी सभन के मईल;
कह#ता की बचे के का# बा#?
अब कुछुओ नइखे धईल ।
ना मास्क पहिरता लोग,
ना दूरी बनावत बा,
धाकामुकी करत आवत जा#ता।
ना तीले तीले हाथे धोआता,
सेनेटाइजर लगावहुं से लोग शर्मा#ता;
कहला पर आउरी खिसियाता।
इहे भइल बारन एगो जागरूक!
भगब# कि ना# बताव#तानी रू#क!!
बा#ड़ा लेक्चर झाड़ तारन,
हमनीए के पाठ पढ़ावतारन।
ई त दासा बा,
अइसन लोग से का आशा बा ?
कहलो पर नाहीं मान# ता#रन।
एही से कोरोना रोज बढ़ल जा#ता!
काल्हे 86000 से जादा बढ़ गईल,
कुल छत्तीस लाख हो गईल;
सत्तर हजार लोग मरीयो गईल ।
असमय स्वर्ग सिधरले,
बाबा धाम चली गईले ।
मिलल उनका चीर आराम ,
उनकर त हो गइल काम;
बाकी लोग के बुझिएं भगवान।
जेकरा होता नू, उहे बूझ#ता,
परिवार के लोग जूझ#ता।
बाकी लोग के चिन्ते नइखे-
हंस#ता , कहलो पर ना चेत#ता।
जहिया होखी नू त# तूहूं बूझ जईब,
जाके होस्पीटल में अमईब;
धइल धइल रूपिया गंवईब।
जान बाची की ना?
इ केहू नइखे जान#त!
लेकिन परिवार के कष्ट अपार दे जईब,
सबके भूखले मूअइ#ब;
आ रो#रो# पछतईब।

?

नवाब मंजूर

लेखक– मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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