भविष्यकर्ता

भविष्यकर्ता | डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव की कलम से

भविष्यकर्ता ( Bhavishyakarta ) उनकी समझदार पत्नी में उन्हें पुनः समझाने का निरर्थक प्रयास करते हुये कहा “मन्त्री ने निमन्त्रण पत्र मतदाता सूची देख कर वितरित किये है। जन प्रतिनिधियों की हर क्रिया सार्वजनिक होती है चाहे वह कितनी ही गुप्त क्यों न हो । तुम में ये ऐसी कोई विशेषता नही देखती जिसमें मन्त्री…

माॅ का आर्शीवाद

माॅ का आर्शीवाद | डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव की कलम से

दिन में तीन या चार बार गरमागरम खाने से औलाद का पेट भरने के साथ साथ मां पर यह कर्तव्य भी निर्धारित किया गया है कि वह पुत्र को आर्शीवाद भी दे। वेदों और पुराणों में माॅ का आर्शीवाद दो तरह का बतलाया गया है। पहला है ”श्रेय” आर्शीवाद जो औलादों को अस्वीकार्य होता है।…

इस भीड़ की सच्चाई ( व्यंग्य )

Vyang | इस भीड़ की सच्चाई ( व्यंग्य )

इस भीड़ की सच्चाई ( व्यंग्य ) ( Is bheed ki sachai : Vyang )   ये कोरोना फैला नहीं रहे हैं भगा रहे हैं, देश को गंभीर बीमारी से बचा रहे हैं। देखते नहीं सब कितना जयघोष कर रहे हैं? समझो कोरोना को ही बेहोश कर रहे हैं? अजी आप लोग समझते देर से…

नेहरू जी बताएंगे

Vyang | नेहरू जी बताएंगे ! ( व्यंग्य )

नेहरू जी बताएंगे ! ( व्यंग्य ) ( Nehru Ji Batayenge )   वादे के मुताबिक ही हम काम कर रहे हैं, क्यों बेकार में फरियाद कर रहे हैं। सबको मिलेगी जगह शमशान में, क्यों इतना हैरान हो रहे हैं। आपने जो चाहा था,उसी पर काम कर रहे हैं, अयोध्या में बन रहा है, वाराणसी…

चले नेताजी

Netaji par Vyang | चले नेताजी

व्यंग्य – चले नेताजी ( Vyang – Chale Netaji )   चले  हैं नेताजी समाज सेवा करने हरने  जनता–जनार्दन  की  पीड़ा, पाँव  उखड़  उस  गरीब का जाये जहाँ खड़ा हो जाए इनका जखीड़ा।   रखवारों की कुछ टोली है संग में कुछ  चाटुकारों   की   है  फौज, सेवा के नाम पर फोटो खिंचवावत मनावत हर जगह…

जंगल में चुनाव
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व्यंग्यात्मक लघुकथा | जंगल में चुनाव

जंगल में चुनाव ( व्यंग्यात्मक लघुकथा ) ( Jangal Mein Chunav ) शहर की भीड़-भाड़ से दूर किसी जंगल में एक शेर रहता था । जिसका नाम शेरख़ान था । अब वह बहुत बुढ़ा हो चुका था इसलिए उसे अपने खाने-पीने  व शिकार करने में बहुत परिश्रम करना पड़ता था। परन्तु शेरख़ान के जवानी के दिनों…

कैसे-कैसे लोग
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Hindi Kavita By Binod Begana -कैसे-कैसे लोग

कैसे-कैसे लोग ( Kaise-Kaise Log )     अक्ल के कितने अंधे लोग। करते क्या-क्या धंधे लोग।   मासूमों के खून से खेले, काम भी करते गंदे लोग।   रौब जमा के अबलाओं पर, बनते हैं मुस्तंडे लोग।   तन सुंदर कपड़ों से ढकते, मन से लेकिन नंगे लोग।   अपनाते दौलत की खातिर, बुरे-बुरे …

गुडडू के नाम पत्र

गुडडू के नाम पत्र

गुडडू के नाम पत्र मेरा और तुम्हारा साथ करीब 2 वर्ष पुराना है। मुझे याद है जब तुम पहली रात को मुझे मिली थी। तुम पहली नजर में ही मुझे पसंद आ गयी थी। यद्यपि तुम संवेदनशील और आत्मनिर्भर हो; नवम्बर तो तुम झेल जाती हो परंतु दिसम्बर की हाड़ कंपा देने वाली ठंड में…

जाने हमनी के का हो गइल बा

जाने हमनी के का हो गइल बा | Bhojpuri bhasha mein kavita

जाने हमनी के का हो गइल बा ? ( Jane hamni ke ka ho gail ba ) काम पर वोट ना केहू मांग#ता, ना केहू दे#ता ! काम कइला से ना कोई खुश होता, ना केहू रूस#ता ! केकरा के देबे के बा# ? पहीलहीं से फिक्स बा ! ओहमे कवनो एने ओने ना होखी-…

छपरा में का # बा# ?

छपरा में का बा | Bhojpuri Vyang Geet

छपरा में का बा ?  ( Chapra me ka ba ) तीन तीन गो बावे नदिया- बावे तीन तीन गो कारखाना! फिर भी भैय्या लड़िकन के नइखे- कवनो रोजगार के ठिकाना। कारखाना बा# त# का# ह#? उ नइखे कवनो काम के, सब कर्मचारी बाड़न ओहमें – दोसरे दोसरे धाम के। का# बा# ! छपरा में…