भेदभाव

Hindi Poetry On Life | भेदभाव

भेदभाव ( Bhedbhav )     फर्क नही बेटे बेटी में, दोनों  ही आँखों के तारे है। इक धरती सी धीर धरा तो, दूजा गगन के तारे है।   भेद भाव हमसे ना होता, संविधान सिखलाता है। बेटी ही  बस करता रहता, बेटों को झुठलाता है।   दोनों में अन्तर.क्या बोलों,इक शक्ति तो इक शिव…

गलतफहमी

Hindi Kavita | Hindi Poetry -गलतफहमी!

गलतफहमी! ( Galatfahmi ) ***** वो समझते हैं समझते नहीं होंगे लोग। वो उलझते हैं पर उलझते नहीं हैं लोग। वो सुलगाते हैं पर सुलगते नहीं हैं लोग। उम्र कद कर्म अनुभव संस्कार की कमी, लहजे से ही दिख जाता है, हर कहीं। कुछ ज्यादा ही उछलते है वो, आका के संरक्षण में पलते हैं…

श्याम रे

Bhakti Kavita | Hindi Kavita | Hindi Poem -श्याम रे

श्याम रे ( Shyam Re )   नाही  आये  यमुना  तट पे  श्याम रे, सुबह  बीती  दोपहरी  हुई  शाम  रे।   कहाँ छुप गए मनमोहन घनश्याम रे, मन  है बेकल  कहाँ  है श्री श्याम रे।   निरखत से नयन नीर भर भर आए रे, जैसे  घटा  में  मेघ घन  घिर  आए रे।   कारी  बदरिया …

सूखी दरख्तो के साये

Ghazal | सूखी दरख्तो के साये

सूखी दरख्तो के साये ( Sookhi Darakhton Ke Saaye )     ये जो हम में तुम में कुछ प्यार बाकी है कहीं  दो दिलो  को बहलाने का बहाना तो नहीं फांसलो की अपनी भी जुबानें हुआ करती हैं तेरे मेरे करीब आने का इशारा तो नहीं   दिल जब भी धड़के, अफसाने बने ,सुना…

चंद बुलबुले जो देखते हो पानी में तुम

Hindi Ghazal -चंद बुलबुले जो देखते हो पानी में तुम

चंद बुलबुले जो देखते हो पानी में तुम   ( Chand Bulbule Jo Dekhte Ho Pani Mein Tum )   दो घडी रुककर घाव सहलाने लगे हम यूँ भी दर्द अपना भुलाने लगे तुम जो राहो में मेरी बिछाते हो शूल दामन फूलो से तुम्हारा महकाने लगे   किस्मत में था इन्तेजार वही मैं करती…

मुसाफिर

Hindi Kavita On Life | Hindi Kavita -मुसाफिर

मुसाफिर ( Musafir ) … मुसाफिर तंन्हा हूँ मै, साथ चलोगे क्या, तुम  मेेरे। है मंजिल दूर, सफर मुश्किल , क्या साथ चलोगे मेरे। यही है डगर, एक मंजिल है तो फिर, साथ चलो ना, सफर कट जायेगा दोनो का, हमसफर बनोगे मेरे। … करेगे दुख सुख की बातें, बातों से खनक बढेगी। हमारे दिल…

गणतंत्र दिवस

India Republic Day Kavita | गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस ( India Republic Day )   भारत माता के मस्तक पर, रोली अक्षत चंदन की। संविधान के पावन पर्व पर, वंदन और अभिनंदन की।   वर्षों के तप और धैर्य से, वीरों के लहू और शौर्य से, माताओं के जिन पुत्रों ने, चलना सही न सीखा था, अंग्रेजों से लड़ लड़ कर, ये…

संसय

Sansaya Hindi kavita On Life – संसय

संसय ( Sansaya Kavita)   मन के रावण को मारे जो, राम वही बन पाएगा, वरना सीता  को रावण से, कैसे  कौन  बचाएगा।   कुछ नर में रावण बसते है, कुछ नारी में सूर्पनखा, संस्कार को त्याग दिया तो, धर्म को कौन बचाएगा। दीपक के जलने से  बुझता, अन्धकार  रूपी  माया, मन मे जगता ज्ञान…

मैने पाया  बहुत, मैने  खोया बहुत। जिन्दगी तेरे दर , मैने  रोया  बहुत। ख्वाब मैने बुना,जो हुआ सच मगर। वो मुकम्मिल नही, मैने ढोया बहुत।

Sad Hindi Poem -बीते लम्हें

बीते लम्हें ( Beete Lamhen Kavita )      मैने पाया  बहुत, मैने  खोया बहुत। जिन्दगी तेरे दर , मैने  रोया  बहुत।   ख्वाब मैने बुना, जो हुआ सच मगर। वो मुकम्मिल नही, मैने ढोया बहुत।   शेर से बन गया, लो मै हुंकार अब। सब समझते रहे, मै हूँ  बेकार अब।   मै  सींचा …

कैसे-कैसे लोग
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Hindi Kavita By Binod Begana -कैसे-कैसे लोग

कैसे-कैसे लोग ( Kaise-Kaise Log )     अक्ल के कितने अंधे लोग। करते क्या-क्या धंधे लोग।   मासूमों के खून से खेले, काम भी करते गंदे लोग।   रौब जमा के अबलाओं पर, बनते हैं मुस्तंडे लोग।   तन सुंदर कपड़ों से ढकते, मन से लेकिन नंगे लोग।   अपनाते दौलत की खातिर, बुरे-बुरे …