वो सुहाने पल | Kavita Wo Suhane Pal

वो सुहाने पल | Kavita Wo Suhane Pal

वो सुहाने पल ( Wo Suhane Pal ) याद आते खूब हमको वो सुहाने पल। बैठ पिता के कंधों पर करते हलचल। अठखेलियां आंगन में हंसते मुस्काते। दादा दादी भी घर में फूले नहीं समाते। आस पड़ौस में आना जाना भाता था। खेल खेलने हुजुम बड़ा जम जाता था। बाजारों में रौनक होती चौपालों पर…

ईंट की दीवारें | Kavita Eent ki Deewaren

ईंट की दीवारें | Kavita Eent ki Deewaren

ईंट की दीवारें ( Eent ki Deewaren ) जब तक है जीवन जगत में वक्त का दौर तो चलता रहेगा बंटी है रात और दिन में जिंदगी ये चक्र तो यूँ ही चलता रहेगा मिलेंगे रेत के टीले हर जगह कहीं पर्वतों का झुंड होगा होगी कहीं कहीं खाईं गहरी कहीं खौलता कुआं होगा कट…

मेरी कविता के शब्द | Meri Kavita ke Shabd

मेरी कविता के शब्द | Meri Kavita ke Shabd

मेरी कविता के शब्द ( Meri Kavita ke Shabd ) तुम्हारे शब्द निहार रहे हैं मुझे और लज्जा से गढ़ी जाती हूं मैं बंद करके भी देखा है मैंने किताब में खुद को तुम्हारे शब्दों में फिर पढ़ी जाती हूं मैं मेरे कंधों को छूते हुए गुजर रही थी तुम्हारे शब्दों की क्यारी पलकें झुका…

Aap hi Bada Gaye

आप ही बदल गए | Aap hi Bada Gaye

आप ही बदल गए ( Aap hi Bada Gaye ) हम अपने जंजालो में और फंसते चले गए, उन्हे लगा यारों, हम बदल गए । करके नजदीकी, ये दूर तलक भरम गए, कुण्ठा के मस्तक पर ,दाग नया दे गए। खुशी की अपील नहीं मुस्कुराहट मॉगे, आपाधापी की जिन्दगी से अनगिन आप गए। ऐसा नहीं…

एक शादी ऐसा भी

एक शादी ऐसा भी | Ek Shadi Aisa Bhi

एक शादी ऐसा भी ( Ek Shadi Aisa Bhi ) अनंत-राधिका की शाही शादी को देखा, करोड़ों की कुबेर में लिपटते हुए देखा , हालीवुड,वालीवुड को थिरकते हुए देखा, राजनयिकों,राजाओं की अगुवाई को देखा, योग के शलाकपुरूष का योगाभ्यास को देखा, काशी विश्वनाथ के मठाधीशों को देखा, गरीब-गुरबे ,भूखों की आहट को न सुना ।…

मेरा अस्तित्व | Kavita Mera Astitva

मेरा अस्तित्व | Kavita Mera Astitva

मेरा अस्तित्व ( Mera Astitva ) क्या मेरे अस्तित्व के कोई मायने रहेंगे ? अगर मैं उतार भी दूं चेहरे पर से चेहरा मेरे स्वयं का अस्तित्व ही पिघल जायेगा और—- मैं अनाम हो जाऊँगी तेज झंझावतों में उठे धूलकणों की तरह हो चुका होगा जर्जर मेरा अंग-प्रत्यंग मेरा वर्ण धीमा हो जायेगा चेहरा, चेहरा…

Aachary bhikshu

गुरु पूर्णिमा व 265 वाँ तेरापंथ स्थापना दिवस

गुरु पूर्णिमा व 265 वाँ तेरापंथ स्थापना दिवस गुरु पूर्णिमा व 265 वाँ तेरापंथ स्थापना दिवस – गुरु पूर्णिमा व 265 वें तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मेरी भावपूर्ण -विनयांजलि ….. हम अपना कल्याण कर लें । जीवन का लक्ष्य महान बना लें । आत्मा की ज्योति जला लें । तप गंगा में स्नान…

एक साथी

एक साथी | Kavita Ek Sathi

एक साथी ( Ek Sathi ) किसी का किसी से इकरार होता है। समझ लो उससे ही उसे प्यार होता है। ये कब और कहा किससे हो जाये। ये न हम जानते और न ये वो जानते।। दिल हमारा डोलता और भटकता रहता है। कभी सपनों में खोता है तो कभी सपने दिखता है। इसलिए…

दादाजी | Kavita Dada Ji

दादाजी | Kavita Dada Ji

दादाजी ( Dada Ji ) दादाजी बड़े विद्वान चलते सीना तान l हाथ में छाता उनकी पहचान l मुछे रखते तान सुबह सैर सपाटे में जाते l बैठ पेड़ की छांव आराम फरमाते l छतरी के गुणों का करे बखान l छतरी में गुण तीन धूप से बचाए बारिश से बचाए l उचका लुचा, कुत्ता…

नहीं ह्रदय स्वीकार

नहीं ह्रदय स्वीकार | Nahi Hriday Swikar

नहीं ह्रदय स्वीकार ( Nahi Hriday Swikar ) ओ प्राणों के प्राण तेरे बिन, जीवन है निस्सार। धड़कन निरपराध है बंदी ,तन बस कारागार।। सांसों सांसों में जलती है ,अखंड प्रेम की ज्योति। कह देती हूं आज तेरे बिन, नहीं ह्रदय स्वीकार। ओ प्राणों के प्राण तेरे बिन जीवन है निस्सार। याद तुम्हारी बनी है…