डर | Darr

डर ( Darr )    आखिर किस भुलावे में है आप सच बताएं क्या चाहते हैं आप चाहते हैं आजादी पर आजाद रहने से डरते हैं चाहते हैं स्वर्ग पर...

कलयुग में राम पधारे | Kalyug me Ram Padhare

अहो भाग्य हमारे,जो कलयुग में राम पधारे हिय तरंग दिव्यता स्पंदन, सकारात्मक संपूर्ण परिवेश । सघन तिमिर अस्ताचल बेला, सात्विकता उन्मुख मनुज आवेश । रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर्व, नव्य कांति...

अडिग | Adig

अडिग ( Adig )    किसको कहे हम खास अपना किस पर जतायें हम विश्वास अपना हर किसी दिल में फरेब है पल रहा किस पर लगाएं हम आश अपना तोड़े...

राम सत्व में, विस्थापित दलित शोषित उत्थान

राम सत्व में, विस्थापित दलित शोषित उत्थान   कृत संकल्पित राम अनुपमा, स्वार्थ तज्य अनुज्ञ सिद्धांत । उपेक्षित एकता प्रेरणा पुंज, अनुग्रह तत्पर सदैव क्लांत । आत्म गौरव पुनःअभिमंडन, स्फूर्ति शक्ति...

राम आएंगे धरा पर | Ram Aaenge Dhara Par

राम आएंगे धरा पर ( Ram aaenge dhara par )   राम आएंगे धरा पर, सब राम के गुणगान गाओ। भगवा धर्म ध्वज हाथ ले, नभ पताका लहराओ। चलो...

दर्द की रेखा | Dard ki Rekha

दर्द की रेखा ( Dard ki rekha )   जुडा हो जिसका रिश्ता दर्द से वही समझ सकता है किसी का दर्द मिली हो वसीयत जिसे पुरखों की उसे संस्कार...

हृदय के स्पंद हो तुम | Hriday ke Kpand Ho Tum

हृदय के स्पंद हो तुम ( Hriday ke spand ho tum )   ऊर्जस्वित प्राण करते आदि कवि के छंद हो तुम। हृदय के स्पंद हो तुम। जन्म जन्मान्तर से...

अधूरी | Adhuri

अधूरी ( Adhuri )   अकसर अधूरी रह जाती हैं बातें अब बाबुल की याद में हि कटती है रातें वक्त निकाल कर बात तो कर लेते हैं हाल ए दिल...

विश्व धरा ज्योतिर्मय : राघवेंद्र के अभिनंदन में

विश्व धरा ज्योतिर्मय,राघवेंद्र के अभिनंदन में   जन ह्रदय पुनीत पावन, सर्वत्र स्नेह प्रेम सम्मान। कलयुग रूप त्रेता सम, अयोध्या उपमित जहान। मर्यादा पुरुषोत्तम दिग्दर्शन, आराधना स्तुति वंदन में । विश्व धरा...

रात ठहरी सी | Raat Thehri si

रात ठहरी सी ( Raat thehri si )   कुछ रात ठहरी सी है ,स्याह सी,गहरी सी है धुंध को ओढ़े सी है ,कई राज  समेटे  सी हैसर्द...