मां

मां

मां   मां एक अनबूझ पहेली है, मां सबकी सच्ची सहेली है, परिवार में रहती अकेली है, गृहस्थी का गुरुतर भार ले ली है। ऐ मां पहले बेटी,फिर धर्मपत्नी, बाद में मां कहलाती हो। पहली पाठशाला,पहली सेविका तूं घर की मालकिन कहलाती हो।। बुआ,बहन,मामी,मौसी कहलाये, माता,दादी,नानी नाम बुलवाये, परिवार की जन्म दात्री नाम सुहाये, अबला,सबला,…

स्वर्ग-नर्क

स्वर्ग-नर्क | Poem in Hindi on Swarg narak

स्वर्ग- नर्क ( Swarg – Narak )   स्वर्ग है या नर्क है कुछ और है ये। तूं बाहर मत देख तेरे ठौर है ये।। तेरे मन की हो गयी तो स्वर्ग है। मन से भी ऊपर गया अपवर्ग है। आत्मतत्व संघत्व का सिरमौर है ये।। तूं बाहर० मन की अभिलाषा बची तो नर्क है।…

ग़र ना होती मातृभाषा

ग़र ना होती मातृभाषा | Matribhasha Diwas Par Kavita

ग़र ना होती मातृभाषा ( Gar na hoti matribhasha )      सोचो    सब-कुछ    कैसा  होता, ग़र     ना     होती   मातृभाषा ।।   सब     अज्ञानी    होकर    जीते जग-जीवन     का   बौझा  ढोते, किसी  विषय  को   पढ पाने की कैसे   पूरी    होती  अभिलाषा।।   कैसे    अपना     ग़म    बतलाते कैसे    गीत     खुशी    के   गाते, दिल  की  दिल  में ही …

भिखारी

भिखारी | Hindi Poem on Bhikhari

भिखारी ( Bhikhari )    फटे पुराने कपड़ों में मारे मारे फिरते हैं भिखारी, इस गांव से उस गांव तक इस शहर से उस शहर तक न जाने कहां कहां ? फिरते हैं भिखारी । अपनी भूख मिटाने/गृहस्थी चलाने को न जाने क्या क्या करते हैं भिखारी? हम दो चार पैसे दे- अनमने ढंग से…

हिन्दी मे कुछ बात है | Short Poem on Hindi Diwas

हिन्दी मे कुछ बात है | Short Poem on Hindi Diwas

हिन्दी मे कुछ बात है ( Hindi me kuch baat hai )    हिन्दी दिवस पर विशेष  (कविता)  हिन्दी अपनी मातृभाषा, हिन्दी में कुछ बात है! हिन्दी बनी राष्ट्र भाषा, भारत देश महान में। ‘नेताजी’ ” के हिन्दी नारे, गूंजे हिंदुस्तान में। ‘गुप्त’ सरीखे राष्ट्र-कवि, ‘तुलसी’ जैसे महाकवि। जाने कितने अमर हो गए, लिखकर इसी…

पीर हमरे करेजवा में आवल करी

पीर हमरे करेजवा में आवल करी | Bhojpuri Kavita in Hindi

पीर हमरे करेजवा में आवल करी (भोजपुरी-इलाहाबादी) गीत जब केउ सनेहिया क गावल करी। पीर हमरे करेजवा में आवल करी।। माया क जहान प्रेम सत्य क निशनवां, प्रेम की दीप जलै निशि दिनवा दिल में रहिके दिल काहे दुखावल करी।। पीर हमरे करेजवा…. राधाकृष्ण हीर रांझा प्रेम की मुरतिया, मीरा क प्रेम प्याला सुनि फटइ…

भूख

भूख | Bhookh Par Kavita

भूख ( Bhookh )   मैं भूख हूं, मैं मिलती हूं हर गरीब में अमीर में साधू संत फकीर में फर्क बस इतना किसी की पूरी हो जाती हूं कोई मुझे पूरा करने में पूरा हो जाता है मैं आदर्शवाद के महल के पड़ोस में पड़ी यथार्थवाद की बंजर जमीन हूं में मिलती हूं मजदूरों…

उसका मुकद्दर यू रूठ गया

उसका मुकद्दर यू रूठ गया

उसका मुकद्दर यू रूठ गया 1. उसका मुकद्दर यू रूठ गया , बकरा कसाई हाथ लग गया। 2. वो दिल में आ बत्तियां बुझा नभाक कर गया, कोई जुगनू पकड़ दामन फिर उजाला कर गया। 3. तुम अच्छे हो अच्छे रहो, हम बुरे हैं बुरे ही सही, देख लेते जो अच्छी नजर से बुरे हम…

चीर हरण (ककहरा)

चीर हरण | Cheer Haran Par Kavita

चीर हरण ( ककहरा ) ( Cheer haran )   कुरुवंश सुवंश में आगि लगी कुरुपति द्युत खेल खेलावत भारी।     खेलने बैठे हैं पांच पती दुर्योधन चाल चलइ ललकारी।     गुरुता गुरु द्रोण की छीन भई संग बैठे पितामह अतिबलकारी।     घर जारत है फुफकारत है शकुनी जस मातुल कुटिल जुवारी…

बच्चों में बढ़ रही है नशे की लत

बच्चों में बढ़ रही है नशे की लत | Nashe Ki Lat Par Kavita

बच्चों में बढ़ रही है नशे की लत! ( Bachon mein badh rahi hai nashe ki lat )    सिर्फ बालीवुड में ही नहीं- देशभर में बढ़ी है नशे की लत, उछाल आया है बड़ी जबरदस्त। सिर्फ रिया,करिश्मा, दीपिका को ही नहीं- बच्चों , किशोरों को भी लगी है इसकी लत, भैया सोचो कितना है…