चल चित्र | Kavita Chal Chitra

चल चित्र | Kavita Chal Chitra

चल चित्र ( Chal Chitra ) चल चित्र का आज कल क्या हाल हो रहा है। देखो अब दर्शको का टोटा सा पड़ रहा है। एक जमाना था चलचित्रों का जो देखते ही बनता था। पर अब हाल बहुत बुरा है देखों चल चित्रों का।। लड़ते मरते थे दर्शक देखने को पहला शो। हालत ये…

हादसे | Kavita Hadse

हादसे | Kavita Hadse

हादसे ( Hadse ) आस्था या अंधविश्वास भक्ति या भीड़ बदहवास भगदड़ में छूटते अपनों के हाथ कदमों से कुचलता हर सांस माथा टेकने का तृष्ण कौन भगवान कौन भक्त मेहरानगढ़ यां हाथरस भयभीत बच्चों के शव असीमित चीखें अस्त व्यस्त ह्रदय विदारक दृश्य अनेकों दीपक हुए अस्त कैसी विडम्बना है ये वत्स रुकता नहीं…

Hindi Meri Shaan

मैं हिन्दी भाषा हूं | Main Hindi Bhasha Hoon

मैं हिन्दी भाषा हूं ( Main Hindi Bhasha Hoon ) मैं हिन्दी भाषा हूं,राष्ट्र कीआशा हूं। मैं हिन्दुस्तान की पिपासा हूं। मुझसे ही है हिन्दुस्तान की आन-बान -शान । मुझसे ही है किताबों की जान में जान। मैं कवियों की कविता का श्रृंगार हूं। मैं लेखकों की लेख की नैया पार हूं। मैं गायकों के…

Manav tan

मानव तन पाकर भजा न प्रभु को

मानव तन पाकर भजा न प्रभु को मानव तन पा करके, भजा न प्रभु को जो। यह अनमोल जीवन अपना, वृथा ही दिया उसने खो। मानव तन पा करके, भजा न प्रभु को जो। गया ठगा द्वारा ठगिनी माया के। झूठा रंग चढ़ाया अपनी काया पे। छोड़ फूल बीज कांटे का, लिया बो जो। यह…

मन की पीड़ा

मन की पीड़ा | Kavita Man ki Peeda

मन की पीड़ा ( Man ki Peeda ) मन की पीड़ा मन हि जाने और न कोई समझ सका है भीतर ही भीतर दम घुटता है कहने को तो हर कोई सगा है अपने हि बने हैं विषधारी सारे लहू गरल संग घूम रहा है कच्ची मिट्टी के हुए हैं रिश्ते सारे मतलब की धुन…

मेरे हमसफर

मेरे हमसफर | Kavita Mere Humsafar

मेरे हमसफर ( Mere Humsafar ) ए मेरे हमसफर देखती हूं जिधर आते हो तुम नजर । कभी दिल की धड़कन बनकर सांसों की डोर से जुड़ जाते हो। कभी आंखों में चुपके से आकर ज्योति बनकर चमकते हो । कभी होठों की मुस्कान बनकर चेहरे का नूर बढ़ाते हो । कभी सूरज की किरण…

sanjh suhani

देखो, आई सांझ सुहानी

देखो,आई सांझ सुहानी गगन अंतर सिंदूरी वर्ण, हरितिमा क्षितिज बिंदु । रवि मेघ क्रीडा मंचन, धरा आंचल विश्रांत सिंधु । निशि दुल्हन श्रृंगार आतुर , श्रम मुख दिवस कहानी । देखो,आई सांझ सुहानी ।। मंदिर पट संध्या आरती, मधुर स्वर घंटी घड़ियाल । हार्दिक आभार परम सत्ता, परिवेश उत्संग शुभता ढाल । परिवार संग हास्य…

अपनापन

अपनापन | Kavita Apnapan

अपनापन ( Apnapan ) सफर करते-करते कभी थकती नहीं, रिश्ता निभाने का रस्म कभी भूलती नहीं, कभी यहाँ कभी वहाँ आनातुर, कभी मूर्खता कभी लगता चातुर्य, समझ से परे समझ है टनाटन, हर हालत में निभाते अपनापन, किसी को नहीं मोहलत रिश्तों के लिए, कोई जान दे दिया फरिश्तों के लिए, कोई खुशी से मिला,कोई…

हरियाली तुम आने दो

हरियाली तुम आने दो | Kavita Hariyali Tum Aane Do

हरियाली तुम आने दो ( Hariyali Tum Aane Do ) बारिश को अब आने दो। तपती गर्मी जाने दो।। ये बादल भी कुछ कह रहे। इनको मन की गाने दो।। कटते हुए पेड़ बचाओ। शुद्ध हवा कुछ आने दो।। पंछी क्या कहते है सुन लो। उनको पंख फैलाने दो।। फोटो में ही लगते पौधे। सच…

कौन किसका

कौन किसका | Kavita Kon Kiska

कौन किसका ( Kon Kiska ) रिश्तों का अर्थ देखो कैसे लोग भूल गये है। होते क्या थे रिश्तें क्या समझाए अब उनको। कितनी आत्मीयता होती थी सभी के दिलों में। मिलने जुलने की तो छोड़ों आँखें मिलाने से डरते है।। कौन किस का क्या है किसको सोचने का वक्त है। मैं बीबी बच्चें बस…