Kavita nasha kursi ka

कुर्सी | Kavita Kursi

कुर्सी ( Kursi ) पद एवं कुर्सी का मुद्दा देशभक्ति, रोज़ी -रोटी से भारी हो गया ऐसा फ़रमान दिल्ली से जारी हो गया मर चुकी जन सेवा देश सेवा की भावना कुर्सी एवं पद के लिए ओछे हथकंडे घटिया दांव -पेंच कल का जनसेवक कलियुग का जुआरी हो गया वास्तविकता पर जब भी चलाई है…

Kavita Parimarjak Prakriti

परिमार्जक प्रकृति | Kavita Parimarjak Prakriti

परिमार्जक प्रकृति   चलायमान सृष्टि को  गौर से देखो कभी  मंद -मंद सुरभित बयार,  सभी को प्राण वायु से भरती  दिनकर की प्रखर रश्मियांँ  सृष्टि को जीवंतता प्रदान करती । चढ़ते, उतरते चांँद से  शीतलता, मृदुलता की शुभ वृष्टि,  हरी – भरी वसुंधरा जो सभी का पोषण है करती रंग-बिरंगे पांँखी,  मधुर तान सी छेड़…

Sach ke Sath Chal Dena

सच के साथ चल देना | Sach ke Sath Chal Dena

सच के साथ चल देना   सच के साथ चल देना, जमाना साथ होगा। भला करते चलिए, खुशियों में हाथ होगा। सच्चाई की डगर पे, तो मुश्किलें हजार होगी। मिल जाएगी मंजिलें, सब बाधाएं पार होगी। सत्य का यह मार्ग, चलना संभल संभल के। संघर्षों की कहानी, रचना फिर राही चल के। जीत होगी सत्य…

ईवीएम मशीन दुखियारी

ईवीएम मशीन दुखियारी

ईवीएम मशीन दुखियारी बिना बात के ही हैं कोसी जाती , फिर भी चुपचाप सब सह जाती मशीन हैं इसलिए कुछ न कह पाती झूठे सारे आरोप ये दुनिया लगती ।। यही ईवीएम जब किसी पक्ष को जीताती तो उस पक्ष की ये फिर सगी बन जाती वही विपक्ष से तब ये खाती हैं गाली…

Kavita Yuva

युवा | Kavita Yuva

युवा ( Yuva ) युवा एक उम्र नहीं, सकारात्मक सोच है अंतर्मन अथाह आशा उमंग, दृढ़ इच्छा शक्ति अपार । वैचारिकी चिन्मय स्फूर्त, अभिव्यक्ति पट ओज धार । उरस्थ राष्ट्र समाज उज्ज्वल छवि, सतत श्रम साधना मंत्र प्रेरणा कोच है । युवा एक उम्र नहीं, सकारात्मक सोच है ।। ह्रदय हिलोर गर्वित इतिहास, आचरण परिध…

Ho Aagaman Tumhara

हो आगमन तुम्हारा | Ho Aagaman Tumhara

हो आगमन तुम्हारा ( Ho Aagaman Tumhara ) मेरा नहीं है कुछ भी सब कुछ है तुम्हारा मैं तो बस परछाई हूं साजन तुम साज तुम्हारा। माटी की तुम भीनी खुशबू अंतर का तुम भेद भेद मिटे तन का मन का हो आगमन तुम्हारा। मीठे सपनों की बगिया तुम इच्छा मेरी डूबी उसमें नहीं जागना…

मौसम क्यों बदलता है

मौसम क्यों बदलता है

मौसम क्यों बदलता है कभी-कभी ख्याल आता है मौसम क्यों बदल जाता है फागुन का सुहाना मौसम भी जेठ में क्यों जल जाता हैl जमाना बदलता है हर रोज ठिकाने बदल जाते हैं मौसम बदलता है जब कभी दीवाने बदल जाते हैं। जो याद करते हैं कभी वह कभी याद आते हैं कौन अपना कौन…

प्रित का प्रेम | Prit ka Prem

प्रित का प्रेम | Prit ka Prem

प्रित का प्रेम ( Prit ka Prem )   मैं तुम्हें लफ्जों में समेट नही सकती क्योंकि– तुम एक स्वरूप ले चुके हो उस कर्तार का– जिसे मैं हमेशा से ग्रहण करना चाहती हूं किन्तु– समझा नही पाती तुम्हें कि– अपने विजन को छोड़कर यथार्थ जीने का द्वंद्व वाकई में किंतना भयप्रद है। नकार देती…

Kavita Ek Chutki sindoor

एक चुटकी सिंदूर | Kavita Ek Chutki Sindoor

एक चुटकी सिंदूर एक चुटकी सिंदूर से,दांपत्य खुशियां भरपूर हिंदू धर्म परिणय व्यंजना, हर नारी मनमोहक श्रृंगार । मांग अंतर सिंदूर शोभा, सुखद जीवन स्वप्न साकार । प्राण प्रिय दीर्घ वय कामना, अलंकृत पद सम कोहिनूर । एक चुटकी सिंदूर से,दांपत्य खुशियां भरपूर ।। वैदिक कालिन दिव्य परंपरा, प्रेम भक्ति अथाह समाहित । पावन दृष्टांत…

इक भॅवरा

इक भॅवरा | Kavita Ik Bhanwara

इक भॅवरा ( Ik Bhanwara ) इक भॅवरा है मस्त मिलोगे करता है गुन्जार मिलोगे कहता है वो कली से जाकर क्या मुझको स्वीकार करोगे कली खिली और खुलकर बोली कहो मेरी हर बात सुनोगे छोड़ के मुझको किसी कली से तुम नजरें न चार करोगे बोलो मुझको प्यार करोगे भंवरा बिन सकुचाते बोला मानूगा…