सीता नवमी

सीता नवमी | Kavita Sita Navami

सीता नवमी ( Sita Navami )   जनक नंदिनी वैभव,राम सत्ता आधार जनक दुलारी महिमा अद्भुत, प्रातः वंदनीय शुभकारी । राम रमाकर रोम रोम, पतिव्रता दिव्य अवतारी । शीर्ष आस्था सनातन धर्म, सुरभि संस्कृति परंपरा संस्कार । जनक नंदिनी वैभव,राम सत्ता आधार ।। मृदु विमल अर्धांगिनी छवि, प्रति पल रूप परछाया । प्रासाद सह वनवास…

Kavita Bin Manavta

बिन मानवता | Kavita Bin Manavta

बिन मानवता ( Bin Manavta )   मैं घंटा शंख बजाऊं,या मंदिर मस्जिद जाऊं। बिन मानवता के एक पल भी,मानव न कहलाऊं।। पहले हवन बाद में दहन,क्यों दुर्गति करवाऊं।। सीधा सादा जीवन अपना,मानव ही कहलाऊं।। दिन में रोजा रात में सो जा,मुर्गी मुर्गा खाऊं। अपनों की परवाह नहीं,दूजा घर भात पकाऊं।। जाति धर्म और भाई…

Poem on Banaras

बनारस | Kavita Banaras

बनारस ( Banaras )   कण कण में हैं शंकर जिसके , और मिट्टी है पारस ! तीन लोक से न्यारी नगरी , जिसका नाम बनारस !! आबोहवा यहां का अनुपम, फिजा में बसती मस्ती ! मोक्ष धाम है महादेव का , मानवता की बस्ती !! स्नेह समन्वय सदाचार संग, बहती ज्ञान की गंगा! सुख…

परिवार सब टूट रहे हैं

परिवार सब टूट रहे हैं

परिवार सब टूट रहे हैं संस्कार छूट रहे हैं कुटुंब परिवार सब टूट रहे हैं। संदेह के घेरे फूट रहे हैं अपने हमसे रूठ रहे हैं। घर-घर दांव पेंच चालों का दंगल दिखाई देता है। कलही कारखाना घर में अमंगल दिखाई देता है। संस्कारों की पतवार जब भी हाथों से छूट जाती है। परिवार की…

पिता का अस्तित्व | Kavita Pita ka Astitva

पिता का अस्तित्व | Kavita Pita ka Astitva

पिता का अस्तित्व ( Pita ka Astitva )   पिता पी ता है गम जिंदगी के होती है तब तैयार कोई जिंदगी गलकर पी जाता है स्वप्न पिता बह जाती है स्वेद मे हि जिंदगी औलाद हि बन जाते उम्मीद सारे औलाद पर हि सजते है स्वप्न सारे औलाद मे हि देता है दिखाई जहाँ…

Kavita Sagar Paon Pakhare

सागर पांव पखारे | Kavita Sagar Paon Pakhare

सागर पांव पखारे ( Sagar Paon Pakhare )   मस्तक पर है मुकुट हिमालय, सागर पांव पखारे ! गोदी में खेले राम, कृष्ण, अवतार लिए बहु सारे !! भारत मां का रुप सलोना, देख मगन जग वाले ! धन्य धन्य हे आर्य पुत्र, है अनुपम भाग्य तुम्हारे !! निर्झर झरने, मीठी नदियां, शस्य श्यामला धरती…

Kavita Nari Swaroop

नारी स्वरूप | Kavita Nari Swaroop

नारी स्वरूप ( Nari Swaroop )   नारी तू एक मगर रूप अनेक। नारी तुम्हारी हाथों में , घर बाहर दोनों सुसज्जित । मां काली सदृश नारी शक्तिशाली , महालक्ष्मी घर की बजट करती पेश । ऐसी प्रबल नारी को प्रणाम । गरिमय व्यक्तित्व को नमस्कार। नारी शक्ति का तू अभिमान है, जन-जन का तुम…

Facebook par Kavita

फेसबुक | Facebook par Kavita

फेसबुक ( Facebook ) फेसबुक ,सामाजिक संवाद का अवतार वर्तमान समय प्रौद्योगिकी, मनुज जीवन अभिन्न अंग । भौगोलिक सीमाएं विलोपित, वसुधैव कुटुंबकम् मंत्र संग । मार्क जुकरबर्ग परम योगदान, श्री गणेश बेला दो हजार चार । फेसबुक, सामाजिक संवाद का अवतार ।। अभिव्यक्ति प्रस्तुति अनंत अवसर, लेख कहानी कविता माध्य । वीडियो रील अनूप युक्ति,…

जनता जनार्दन

जनता जनार्दन | Kavita Janta Janardan

जनता जनार्दन ( Janta Janardan ) भोली भाली जनता भटक रही इधर उधर सीधी सादी जनता अटक रही इधर उधर बहुरुपिए बहका रहे बार-बार भेष बदल जाति जाल मे खटक रही इधर उधर नये इरादे नये वादे झूठे झांसों में झमूरे मदारी में मटक रही इधर उधर नोटंकी होती ग़रीबी हटाने की हर बार पांच…

चुनावी हलचल

चुनावी दंगल | Kavita Chunavi Dangal

चुनावी दंगल ( Chunavi dangal ) देश चुनावी दंगल की चपेट में भाषणों,वायदों,कसमों के लपेट में मग्न हैं नेतागण लहरदार । जनता सुन रही मनभावन सम्बोधन टकटकी लगाए बैठे स्वप्नदर्शी की तरहा चुनावी हलचल की दलदल से आहत कराहते एक कुत्ता हुआ बेचैन भीड चीर कर लपका मंच को कुत्ते ने नेता को कोसा काटा…