मतदान महोत्सव | Kavita Matdan Mahotsav

मतदान महोत्सव | Kavita Matdan Mahotsav

मतदान महोत्सव ( Matdan Mahotsav )   लोकतंत्र का महान महोत्सव मतदान करना शक्ति भक्ति महान महोत्सव मतदान करना राष्ट्र भक्त का कर्त्तव्य मतदान करें देश हित्त में मिलजुल मतदान करें राजतंत्र में राज घरानों की परम्परा प्रजातंत्र में मतदान करने की परम्परा अपने राजा का ख़ुद चयन करो मत में शक्ति समाई चयन करो…

Kavita Nivedan

दर्पण ना समाए | Kavita Darpan na Samaye

दर्पण ना समाए  ( Darpan na Samaye ) रुप तेरा ऐसा दर्पण ना समाए मन ना उतराए भृकुटी ऐसी चांदनी चांद ना शरमाय गाल ऐसी लागी कनक ना चमकाय ओठ ऐसी रंगाय भौंरें ना गूंजाय बाला कानें लटकाए चंद्रमुखी सा इतराय हथेली ऐसी जुडाय सूर्यमुखी नमो कराए गेसू ऐसी लहलहाय सौंदर्य प्रकृति बरसाए। शेखर कुमार…

Kisan par kavita

दूबर बाटे सबसे किसान देशवा में

दूबर बाटे सबसे किसान देशवा में   रानी भरल खलिहान ई चइतवा में, लिट्टी-चोखवा लगाउतू यही खेतवा में। लूहिया-लुहान से ई नाचाला कपरवा, हमरे पसीनवाँ से लूटै ऊ लहरवा। दूबर बाटे सबसे किसान देशवा में, लिट्टी-चोखवा लगाउतू यही खेतवा में। रानी भरल खलिहान ई चइतवा में, लिट्टी-चोखवा लगाउतू यही खेतवा में। ठारी पड़े, हाड़ काँपे,…

Kavita Dikhawa

दिखावा | Kavita Dikhawa

दिखावा ( Dikhawa )   शुभचिंतक हैं कितने सारे बाहर गोरे भीतर कारे मुखरा-मुखरा बना मुखौटा मिट्ठू दिखते जो हैं सारे लेकर आड़ झाड़ को काटे नए और पैने हैं आरे तन तितली मन हुआ तैयार ऐसे लोगों के पौ बारे सब कुछ दे देते हँसकर गए हाशिये में वे प्यारे दृष्टि हो गयी इतनी…

Kavita Itihas

इतिहास | Kavita Itihas

इतिहास ( Itihas )   उड़ती हैं नोट की गड्डियाँ भी दरख़्त के सूखे पत्तियों की तरह होती है नुमाइश दौलत की फ़लक पे चमकते सितारों की तरह बेचकर इमां धरम अपना बन गई है सिर्फ खेल यह जिन्दगी अय्याश का भोग हि जीवन बना धरी की धरी रह गई है बंदगी शिक्षा जरिया बनी…

अब बेटियांँ भी कंधे देने लगी है सच मानो

अब बेटियांँ भी कंधे देने लगी है सच मानो

अब बेटियांँ भी कंधे देने लगी है सच मानो   अब बेटियांँ भी कंधे देने लगी है सच मानो बेटे नहीं हैं तो क्या बेटी को ही छत जानो। बदलते परिवेश में जीना कोई गुनाह नहीं बेटियांँ लहू में समाई है सुरक्षा कवच मानो। जो व्यवस्था महत्व नहीं दे बेटियों को जानों उसे व्यवस्था के…

Kavita Safar ka Akelapan

सफर का अकेलापन | Kavita Safar ka Akelapan

सफर का अकेलापन ( Safar ka Akelapan )   भीड़ में भी अकेला हूं अकेले में भी भीड़ बहुत है इसे कहूँ बाजार, या तन्हाई या कहूँ अकेलापन! कोई पढ़ रहा है मुझे कोई लिख रहा मुझपर कोई समझ रहा है कोई लगा है परखने में अजीब सी कश्मकश है कईयों की नज़र मे रहकर…

Kavita Nirjhar

निर्झर | Kavita Nirjhar

निर्झर ( Nirjhar )   काश……..तेरी तरह ही मैं भी बन जाऊँ माँ, निर्झर की मानिंद कल-कल बहती जाऊँ माँ, तेरी ही तरह दामन में समेट लूँ ये दुनिया माँ, अपनी शीतलता से जहां नहलाती जाऊँ माँ, इतनी वसअतें खुद में मैं पैदा कर जाऊँ माँ, समन्दर से भी ज़्यादा गहरी मैं बन जाऊँ माँ,…

मतदान का अधिकार | Kavita Matdan ka Adhikar

मतदान का अधिकार | Kavita Matdan ka Adhikar

मतदान का अधिकार ( Matdan ka Adhikar )   लोकतंत्र देश हमारा। है संविधान सर्वोपरि देश का। देकर मतदान अधिकार, मान बढ़ाया जनशक्ति का।। जो बालिग हो वह, देकर अपना मत, मन पसंद नेता चुन सकता है। ऐसा गौरवपूर्ण अधिकार, मिला हमें संविधान से है।। सदुपयोग इसका करें हम। जागरूक सदा रहें हम। जन-जन अलख…

Poem on voting in Hindi

मत प्रणय अनंत | Kavita Mat Pranay Anant

मत प्रणय अनंत ( Mat Pranay Anant )   मत प्रणय अनंत, ई वी एम को निहार कर लोकतंत्र नव यौवन अंगड़ाई, मतदाता उर भाव नवल । उत्सविक प्रभा परिवेश उत्संग, कामना राष्ट्र भविष्य मंगल । अंतःकरण स्वर करस्थ स्पंदन, प्रलोभ स्वार्थ विसार पर । मत प्रणय अनंत, ई वी एम को निहार कर ।।…