निर्झर | Kavita Nirjhar
निर्झर
( Nirjhar )
काश……..तेरी तरह ही मैं भी बन जाऊँ माँ,
निर्झर की मानिंद कल-कल बहती जाऊँ माँ,
तेरी ही तरह दामन में समेट लूँ ये दुनिया माँ,
अपनी शीतलता से जहां नहलाती जाऊँ माँ,
इतनी वसअतें खुद में मैं पैदा कर जाऊँ माँ,
समन्दर से भी ज़्यादा गहरी मैं बन जाऊँ माँ,
रास्तों के पत्थरों से कभी ना मैं घबराऊँ माँ,
हर रुकावट से लड़ती आगे बहती जाऊँ माँ!
आश हम्द
पटना ( बिहार )