कर दे जो दूर ग़म
कर दे जो दूर ग़म कर दे जो दूर ग़म को किसी में हुनर नहींयारब क्या ग़म की रात की होगी सहर नहीं तड़पे जिगर है मेरा ये उनको ख़बर नहींये आग इश्क़ की लगी शायद उधर नहीं घर से निकलना आज तो मुश्किल सा हो गयामहफ़ूज नफ़रतों से कोई रहगुज़र नहीं चलती है चाल…