कितने | Kitne
कितने ( Kitne ) पेड़ों से पत्ते बिछड़ गये कितने इस जग उपवन से उजड़ गये कितने सारा दिन अब ये चला रहे हैं फ़ोन इस युग के बच्चे बिगड़ गये कितने पहले हर कोई,गुनाहों से था दूर इस पथ को अब तो पकड़ गये कितने सबकी फ़रियादें,कहाँ सुनेगा रब इस दर पर माथा…