माँ | Maa
माँ ( Maa ) जिसके होने से मैं खुद को मुकमल मानती हूं, मेरी मां के हर लफ्जों में दुआ है जानती हूँ । ?? मां शब्द जितना खूबसूरत है उससे भी अधिक खूबसूरत इसका एहसास है । संसार मे किसी भी जीव को जन्म देने का आशीर्वाद मां को ही प्राप्त है ।…
हम लोग अपनी बोलचाल की भाषा में कई सारी भाषाओं का प्रयोग करते हैं अधिकतर हिंदी भाषी क्षेत्र के लोग हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी के भी कई शब्द बोलते हैं जिसे आजकल लोग हिंगलिश के नाम से जानते हैं लेकिन हिंगलिश का प्रयोग सबसे पहले कब हुआ था और किसने किया था कि आपको पता…
इन दिनों लव जिहाद का मामला भारत के विभिन्न राज्यों में तूल पकड़ रहा है। कई राज्यों में लव जिहाद के बढ़ते मामले को देखकर इसके लिए कानून बनाने की मांग हो रही है। कई राज्य तो इसमें आगे बढ़ चुके हैं, विशेषकर के हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में लव जिहाद को लेकर…
जब तक हम नहीं सुधरेंगे तब तक एक अच्छे समाज का निर्माण संभव नहीं। जब आप गलत होते हुए भी अच्छा बनने का नाटक करते हैं, तो अगला सब कुछ जानते हुए भी खामोश है । तो इसका मतलब यह नहीं कि वह कुछ नहीं जानता बल्कि वो आपको दूसरों की नजरों में गिराना नहीं…
धैर्य ( Dhairy ) धैर्य यानी वह धागा जो आपको जोड़े रखता है। टूटने नही देता। यह एक ऐसी लौ है जो दिखती नही है। जो इसे जलाए रखता है, बुझने नही देता उसका जीवन प्रकाशमान हो जाता है। कुछ वर्ष पहले शिव खेड़ा की “जीत आपकी”पढ़ी थी। उसमें उन्होंने चीन में पाए जाने वाले…
बदलते समय के साथ बदलती हुई हिंदी ( Badalte samay ke sath badalti hui Hindi ) हिंदी दिवस आते आते हिंदी भाषा की चर्चा जोर पकड़ लेती है। हर तरफ हिंदी भाषा की चर्चा शुरू हो जाती है। सरकारी कार्यालयों, स्कूल कॉलेजों में हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए…
आज ही के दिन 31 जुलाई 1880 को कथा सम्राट धनपत राय श्रीवास्तव अर्थात मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म हुआ था।अपनी सरलता,मौलिकता से मन मोह लेने वाली कहानियों, उपन्यासों के रूप में मुंशी प्रेमचंद जी आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। यूँ तो उनकी बहुत सी कहानियों, उपन्यासों ने मेरा मन मोहा है…
अंततः अगले 21 दिनों (14 Apr ) तक पूरे देश मे लॉकडाउन (एक तरह से कर्फ्यू) लगा दिया गया।इस महामारी को देखते हुए सरकार का यह कदम स्वागतयोग्य है। अगले 21 दिनों तक निश्चित ही हम लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा लेकिन यह देश के लिए, हमारे लिए बहुत जरूरी है। मैं सोचता…
बेटियां – दुर्भाग्य या सौभाग्य ??? राजेश के जब दूसरी बेटी हुई वह उदास थे।वह रो रहे थे इसलिए नही कि उनके एक के बाद दूसरी भी बेटी ही हुई बल्कि इसलिए क्योंकि उनके पास उन्हें पालने-पोसने के लिए कुछ नही था। वह बेहद मुफ़लिसी के दौर से गुजर रहे थे..वक्त उनका चारो तरफ से…