जुमेरात को | Jumerat ko
जुमेरात को ( Jumerat ko ) आज धरा ,यह ज़मीं कुछ नाराज सी लगी आसमां से आफाक में न कभी मिले हो ना कभी ढंग से मुझे ढके हो उल्टा पनाह दिए हो आफताब को जो खुद भी आग है ,शोला है और मुझे भी जलाता है झुलसाता है ,नाजुक सी मेरी जान को…
जुमेरात को ( Jumerat ko ) आज धरा ,यह ज़मीं कुछ नाराज सी लगी आसमां से आफाक में न कभी मिले हो ना कभी ढंग से मुझे ढके हो उल्टा पनाह दिए हो आफताब को जो खुद भी आग है ,शोला है और मुझे भी जलाता है झुलसाता है ,नाजुक सी मेरी जान को…
है शान निराली भारत की ( Hai shaan nirali Bharat ki ) है शान निराली भारत की हर चीज है प्यारी भारत की बलिदान दिया हर सैनिक ने तकदीर सवारी भारत की हर कोई उल्फ़त से बोले मीठी है बोली भारत की अबला न समझ तू अब उसको सबला है नारी भारत की राशन…
जलना पड़ा ( Jalna pada ) मुझे पूरी उम्र देखो जलना पड़ा है, कलेज़े पे पत्थर भी रखना पड़ा है। खता तो हमारी कुछ भी नहीं थी, फिर भी अंगारे पे चलना पड़ा है। दिल भी जला औ जिस्म भी जला है, आशिकी में सब कुछ सहना पड़ा है। अजब हूँ चराग़ मैं जलता…
तन्हा रात की दुहाई देती है! ( Tanha raat ki duhai deti hai ) तन्हा रात की दुहाई देती है! रौशनी जब दिखाई देती है! यूं उजालों से निस्बत है मेरी खामुशि घर की रुस्वाई देती है! कैसे जी लेते हैं तन्हा लोग होकर हमसफर हिज्र से रिहाई देती है! खुश हैं वो लगाके…
मौसम -ए -गुल! ( Mausam -e -gul ) बारिश का मौसम बनने लगा है, कुदरत के हाथों सजने लगा है। मिलने चला है वो बादल समंदर, हवाओं के पर से उड़ने लगा है। होगी जब बारिश तपिस भी घटेगी, किसानों का चेहरा खिलने लगा है। बोलेंगे दादुर, बोलेंगे झींगुर, अगड़ाई मौसम लेने लगा है।…
बोलते हैं ( Bolte hain ) कहां कब ये बिचारे बोलते हैं नहीं उल्फत के मारे बोलते हैं। मुहब्बत है मगर अफसोस हैवो नहीं हक़ में हमारे बोलते हैं। परिंदे बेजुबां बोले न बोलें निगाहों के इशारे बोलते हैं। जिसे मतलब नहीं वो बेवज़ह क्यूं मसाइल में तुम्हारे बोलते हैं। दिखे हैं अंजुमन में…
मेरी बहू ( Meri Bahu ) बज उठ्ठेगी घर -घर में फिर सबके ही शहनाई उधड़े रिश्तों की कर लें गर हम मिलकर तुरपाई जीत लिया है मन सबका उसने अपनी बातों से मेरे बेटे की दुल्हन इस घर में जब से आई घर में बहू की मर्ज़ी के बिन पत्ता भी नहीं हिलता…
भारत बहुत है प्यारा ( Bharat bahut hai pyara ) भारत बहुत है प्यारा जहाँ में इसका लबों पर नग़मा जहाँ में गुल खूब खिलते है एकता के कोई न गुलशन ऐसा जहाँ में देंगे न दुश्मन कश्मीर अपना कहलायेगा भारत का जहाँ में मंदिर यहाँ मस्जिद प्यार के गुल भारत बहुत है अच्छा…
आजकल! ( Aajkal ) ये कैसा आ गया है अज़ाब आजकल! मुब्तिला तिरगी में आफताब आजकल! शिनाख्त आदमी की मुश्किल है भीड़ में फिरता है चेहरे पे लिए नकाब आजकल! कांटे ही किया करते हैं फूलों की हिफाजत कांटों से घिर गया है लो गुलाब आजकल! बनती हैं फाइलों में सड़कें बड़ी बड़ी बिखरे…
उड़ान ( Udaan ) कितने जमाने बाद खुला आसमान हैं ले हौसलों के पंख को भरनी उड़ान है। देखा हज़ार बार मगर प्यास दीद की ये कैसी तिश्नगी हमारे दरमियान है। इस बार इश्क़ में करेंगे फ़ैसला हमीं है इंतजार दे रहा वो क्या बयान है । वो शख़्स रहे यार हमारे क़रीब जब…