देश | Desh
देश ( Desh ) देश का होठों पर रोज़ ही गीत हो हर क़दम पर भारत की सदा जीत हो प्यार से मिलकर हिंदू मुसलमा रहें देश में एक ये ही सदा रीत हो इस क़दर प्यार की बारिश हो रोज़ ही दिन न अच्छे कभी देश से बीत हो नफ़रतों का न हो…
देश ( Desh ) देश का होठों पर रोज़ ही गीत हो हर क़दम पर भारत की सदा जीत हो प्यार से मिलकर हिंदू मुसलमा रहें देश में एक ये ही सदा रीत हो इस क़दर प्यार की बारिश हो रोज़ ही दिन न अच्छे कभी देश से बीत हो नफ़रतों का न हो…
गम को छुपाना आ गया ( Gam ko chupana aa gaya ) थोड़ी हुई मुश्किल मगर ग़म को छुपाना आ गया रुख़ पे नया रुख़ आजकल हमको लगाना आ गया। उनको नहीं परवाह कुछ ये जानते हैं हम मगर अब लातअल्लुक हम भी हैं उनसे जताना आ गया। जिनको नहीं इल्मो अदब मालूम है…
कश्मीर ( Kashmir ) कश्मीर में खिले उल्फ़त के फूल है होंगे नहीं नफ़रत के अब बबूल है तू भूल जा बातें करनी कश्मीर की हर हाथ में अदू वरना त्रिशुल है सच बोलता नहीं है एक बात भी हर बात वो करें दुश्मन फ़िजूल है तू भूल जा रस्ता दुश्मन कश्मीर का तेरे…
प्लास्टिक सा हो गया तेरा दिल मेरा दिल ( Plastic sa ho gaya tera dil mera dil ) “Ecosystem Restoration” प्लास्टिक के दौर में प्लास्टिक सा ही हो गया तेरा दिल मेरा दिल झुकेगा नहीं टूट जायेगा पिघलेगा तो धूँआ हो जायेगा न धड़कता है न धड़कने देगा कैसा ‘बेदिल‘ सा हो गया है…
पर्यावरण संरक्षण ( Paryavaran Sanrakshan ) एक ग़ज़ल पर्यावरण संरक्षण पर ज़मी बहुत उदास है इसे हंसाइए ज़रा मिला के हाथ आईए शजर लगाइए ज़रा यह धूप रोशनी हवा घिरे हुए हैं गर्द में फिज़ा से धुंध और ग़र्द को हटाइए ज़रा। जहां में हो रही बहुत ही आब की कमी अभी बिला वज़ह…
तुम एक नज़्म ही सही ( Tum ek nazm hi sahi ) तुम एक नज़्म ही सही मेरी किताब में तो सजी हो मेरी लबों पर लरज़ती कभी आंखों से गुजरती तो हो मेरी दिल ही में गुनगुनाता हूं उंगलियां सहलाती तो है मेरी रू ब रू न सही रूह में नजर आती तो…
मोहब्बत क्यों जलाते हो ( Mohabbat kyon jalate ho ) मोहब्बत में मोहब्बत को क्यों जलाते हो एक बार मिलने क्यों नहीं आ जाते हो। दिल रो रहा हमारा अपना भी रुलाते हो इतनी दूरियां बढ़ाकर क्या मजा पाते हो। ये दूरियां कैसी तेरी मजबूरियां कैसी कसूर क्या है हमारा क्यों नहीं बताते हो।…
हमसफ़र ( Humsafar ) आज़ लिखनी है ग़ज़ल बस आप पर ओ हमसफ़र आप ही के साथ गुज़रे शब सहर ओ हमसफर। ना मिले गर दो जहां तो हर्ज़ है कोई नहीं आपकी बस एक हम पर हो नज़र ओ हमसफ़र। सात जन्मों तक रहे रिश्ता ये मांगी है दुआ बाख़ुदा मेरी दुआ में हो…
ख़फ़ा सी नज़र ( Khafa si nazar ) ख़फ़ा ख़फा सी नज़र सनम की बिला वज़ह के अड़ी हुई है टिकी रहे हर घड़ी हमीं पर नजर नहीं हथकड़ी हुई है। नहीं लिखा वो लक़ीर में जब भला मुकद्दर बने कहां से मगर वही दिल कि चाह है बस निगाह उस पर गड़ी हुई…
बदलनी चाहिए ( Badalni chahiye ) आज उनकी ये नज़र हम पर फिसलनी चाहिए ख़्वाब सी चाहत हमारी दिल में पलनी चाहिए । कौन सा ये मर्ज़ आख़िर इश्क का हमको लगा सुन लो चारागर मुसीबत अब ये टलनी चाहिए। बाद अरसे के मिले वो आज़ हम से प्यार से बर्फ़ सी मेरी उदासी…