रोज़ ढूंढ़ा है वफ़ा का घर यहाँ | Wafa par shayari
रोज़ ढूंढ़ा है वफ़ा का घर यहाँ ( Roz dhoonda hai wafa ka ghar yahan ) रोज़ ढूंढ़ा है वफ़ा का घर यहाँ इसलिए खाता रहा ठोकर यहाँ फोड़ देता सर दग़ा उस छल कप का की नहीं था हाथ में पत्थर यहाँ वो नजर आया नहीं चेहरा कहीं मैं रहा …