Wafa par shayari

रोज़ ढूंढ़ा है वफ़ा का घर यहाँ | Wafa par shayari

रोज़ ढूंढ़ा है वफ़ा का घर यहाँ ( Roz dhoonda hai wafa ka ghar yahan )     रोज़ ढूंढ़ा है वफ़ा का घर यहाँ इसलिए खाता रहा ठोकर यहाँ   फोड़ देता सर दग़ा उस छल कप का की नहीं था हाथ में पत्थर यहाँ   वो नजर आया नहीं चेहरा कहीं मैं रहा …

Aazam shayari

जल गये लोग | Aazam shayari

जल गये लोग उसको गुलाबी कहाँ! ( Jal gaye log usko gulabi kahan )     जल गये लोग उसको गुलाबी कहाँ! फूल सा खिलता जब शबाबी कहाँ   अंजुमन में ख़िलाफ़ हो गये लोग सब जब उसे आज अपना ज़नाबी कहाँ   हो गया है यहाँ आपस यूं फ़साद जब उसे यूं  लोगों ने…

Ghazal e ishq

फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है | Ghazal-e-ishq

फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है ( Phool sa ik shakhs mujhko chahta hai )     फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है पर किसी पत्थर से मेरा दिल लगा है   हिज्र उसका मुझको दीमक की तरह से दिन ब दिन अन्दर ही अन्दर खा रहा है   हो गया है मुझमें…

Tumhara ghar bhi jal jayega

तुम्हारा घर भी जल जाएगा |Tumhara ghar bhi jal jayega

तुम्हारा घर भी जल जाएगा ( Tumhara ghar bhi jal jayega )     तुम्हारा घर भी जल जाएगा , क्यों हो आग लगाते ।   नासमझ बन जाने की जिद, उन्हे भला कैसे समझाते।   नाम तुम्हारा ही आता , बताओं कैसे जख्म दिखाते।   टूटती नहीं ख़ाबो की ताबीर, मुझसे किया वादा कोई…

Jaise tum ho paas kahin

जैसे तुम हो पास कही | Jaise tum ho paas kahin

जैसे तुम हो पास कही ( Jaise tum ho paas kahin )   ऐसा क्यो महसूस हो रहा, जैसे तुम हो पास कही। तेरे तन की खूशबू लगता’ मुझको जैसे पास अभी। शायद  है  ये  वहम  मेरा  या, मेरा पागलपन है, हुंकार हृदय तुझमे ही डूबा,तुझको ये एहसास नही।   इक कोरा कागज हूँ मैं…

Dastan shayari

ये क्या अजब दास्तां बन गई | Dastan shayari

ये क्या अजब दास्तां बन गई ( Ye kya ajab dastan ban gayi )   ये क्या अजब दास्तान बन गई , खव्वाहिशे उसकी मेरे अरमान बन गई I   जिन राहो से गुजर गये वो कभी , वो मेरी मंजिलों की निशान बन गई I   दर्द के आगोश में तमन्नाओ की शाम ,…

Muskurahat Shayari

वो मुझे देखकर मुस्कुराते रहे | Muskurahat Shayari

वो मुझे देखकर मुस्कुराते रहे ( Wo mujhe dekh kar muskurate rahe ) वज़न: फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन     इश्क बनके वो दिल में समाते रहे वो मुझे देखकर मुस्कुराते रहे   अक्स बनके वो आंखों में आते रहे रात भर मेरी नींदें उड़ाते रहे   एक पल के लिए उनको भूला नहीं सांस…

Shayari on ghum

नहीं ग़म में कभी शामिल रहा है | Shayari on ghum

नहीं ग़म में कभी शामिल रहा है  ( Nahin gam mein kabhi shamil raha hai )     नहीं ग़म में कभी शामिल रहा है ? ख़ुशी का वो मेरी क़ातिल रहा है   कभी भी पेश उल्फ़त से न आया हमेशा यूं बड़ा जाहिल रहा है   ख़ुशी का हो भला अहसास कैसे ग़मों…

Badiya si ghazal

कौन रक्खे प्यार अपने के लिए | Badiya si ghazal

कौन रक्खे प्यार अपने के लिए  ( Kaun rakhe yaar apne ke liye )     कौन रक्खे प्यार अपने  के लिए ! लड़ रहे है लोग पैसे के लिए   दिल भरा है ख़ूब लालच से यहाँ कौन लड़ता देखो रिश्तें के लिए   और तू तैय्यार मिलनें को नहीं शहर से आया हूँ…

Reza reza

रेज़ा रेज़ा | Reza reza

रेज़ा रेज़ा ( Reza reza )   इकट्ठा करती हूँ बीनती हूँ इक इक टुकड़ा बारीक से बारीक किरचन उठाती हूँ देखती हूँ अपनी लाल हुई ज़ख्मी उंगलियां कभी उस टूटे हुये आईने को . . . . आईने को? या रेज़ां रेज़ां खुद को? लेखिका :- Suneet Sood Grover अमृतसर ( पंजाब ) यह भी…