चल रहा है खेल गुल्ली डंडा देखो गांव में !

गुल्ली डंडा देखो गांव में | Poem on Gulli Danda

 गुल्ली डंडा देखो गांव में !

( Gulli Danda dekho gaon mein )

 

 

चल रहा है खेल गुल्ली डंडा देखो गांव में !

शहर से चल देखने को तू गुल्ली डंडा गांव में

 

आ गया है याद दिल को अपना बचपन दोस्तो

देखकर के गुल्ली डंडा बच्चों का ही गांव में

 

मन भरा मेरा नहीं है दोस्त अब तक खेल से

दोस्त रहना है कभी तक इस प्यारे से गांव में

 

शहर में तो नफ़रतों की खेलते है कंचे ही

प्यार से ही खेलते है गुल्ली डंडा गांव में

 

शहर को  कैसे भला लौटूं यहां से सच कहूँ

मन भरा मेरा नहीं है ये कभी तक गांव में

 

शहर में तो गोलियां बस नफ़रतों की चलती है

खेलते है प्यार से ही बच्चें मिलकर गांव में

 

शहर में ही खेल लिए कंचे बहुत  देखो ज़रा

आ खेले आज़म हम भी अब गुल्ली डंडा गांव में

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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