डर के आगे जीत है (दोहे)
डर के आगे जीत है (दोहे)
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(मंजूर के दोहे)
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१)
डर से हम डरते नहीं , ना इसकी पहचान।
डराओ ना जग मुझको, मैं भी अब शैतान ।।
२)
डर कर जीया अभी तक,पकड़ लिया अब कान।
जैसे को तैसा करूं,देख जगत हैरान।।
३)
डरोना कभी किसी से,अक्ल से लो तुम काम।
डराने वाले को तुम, दो उत्तर उर तान।।
४)
डर पर विजय जो पावे,सफल वही हो पाए।
अभिमान को जीए मरे,वीर वही कहलाए।।
५)
डर आनंद में बाधक, उत्सव करे बेरंग।
त्याग मजा लें निर्बाध, समझो जीते जंग।।
६)
डर के आगे जीत है,अबहीं दो तुम त्याग।
सफलता की ओर बढ़ो, आगे आगे भाग।।
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लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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