दोहा सप्तक | Doha Saptak
दोहा सप्तक
( Doha Saptak )
( Doha Saptak )
निबंध : समावेशी विकास की अवधारणा ( Concept of inclusive development : Essay In Hindi ) समावेशी विकास एक व्यापक अवधारणा है। इसका प्रमुख उद्देश्य देश के विकास प्रक्रिया में सभी नागरिकों को शामिल करने के साथ-साथ उनसे मिलने वाले लाभों की सत प्रतिशत पहुंच भी सुनिश्चित उन तक करना है। यानी कि समावेशी विकास…
योग पर कविता ( Yoga par kavita ) थका हुआ जब पाओ तुम योगा को अपनाओ तुम योगा से भागे रोग सभी खुशियां होंगी पास तभी अनुलोम-विलोम किया करो जीवन जी भर जिया करो बच्चे बूढ़े हो या जवान योग से मिलता आराम सुबह सवेरे उठ जाओ निवृत्त सबसे हो आओ योगा से ताजगी…
समर ( Samar ) हर दर्द की दवा नहीं मिलती हर डालियों में फूल नहीं खिलते हर चमन से आती है बहार, मगर हर चमन को माली नहीं मिलते कभी और से तो कभी खुद से भी सफल शुरू करना जरूरी होता है जरूरी है उजाला भी रात के अंधेरे में मगर चांद से…
लालबहादुर शास्त्री 2 अक्टूबर 1904, मुगलसराय में आई बहार,रामदुलारी का राजदुलारा,चमका बनकर अलग ही सितारा,कर्मठ, विनम्र,सरल,परिश्रमी,शांत भावी,शिक्षा में निपुण थे अनुभवी,चार भाइयों में सबसे छोटे,जीवन में उतार चढ़ाव थे इनके मोटे,अठारह अठारह का था इनका ना जाने कैसा आंकड़ा,मृत्यु के अठारह महीने तक प्रधानमंत्री का कार्यभार,उससे पहले जन्म के अठारह महीनों में पिता का साया…
ऐ ! दुनियावालों ( Aye duniya walo ) खून- खराबा किसी के लिए है खेल-खिलौना, मगर मेरी तहजीब अलग है। कोई बोता है नफरतों का बीज, पर मेरी तहजीब अलग है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी, यहूदी, सभी हैं मेरे अपने, हम हैं एक डाल के फूल, गमकने दो बहारों में, मेरी तहजीब…
बचपन की बातें! ( Bachpan ki baatein ) सुनाओ कोई फिर बचपन की बातें, कोई लब पे लाओ लड़कपन की बातें। दरख्तों की छाँव में होती थीं बातें, बड़े ही मजे से चलती थीं साँसें। दुआएँ बड़ों की मिलती थी हमको, नाजो-अदा न उठानी थी हमको। कागज की कश्ती वो बारिश का पानी, आओ…