ऐ दर्द | E- Dard
ऐ दर्द
( E – Dard )
ऐ दर्द….
कुछ तो कम कर,
मै तेरा रोज का ग्राहक हूँ…..
खुशिया छोड चुका हूँ, गम निचोड चुका हूँ ।
आँखो मे तुमको भर कर, यही बात कहा है।
ऐ दर्द…
कुछ तो कम कर,
मै तेरा रोज का ग्राहक हूँ….
है राज बहुत गहरा, वो दिल मे समाया है।
सागर के मौजो मे भी, सन्नाटा सा छाया है।
खुशियो के भीड मे भी, अब तेरा सहारा है।
ऐ दर्द…
कुछ तो कम कर,
मै तेरा थोज का ग्राहक हूँ….
आँखे खुली रहेगी, सोऊँगा भला कैसे।
सपनो मे ना जो तू है, जीऊँगा भला कैसे।
हम याद तुम्हे हर पल, हर बार करेगे।
ऐ दर्द…
कुछ तो कम कर,
मै तेरा रोज का ग्राहक हूँ…
बिछडी हुई मोहब्बत , टूटा हुआ सहारा ।
कैसे कहे हम अपना, जो ना हुआ हमारा।
फिर भी हम उन्हे याद, दिन-रात किया है।
ऐ दर्द….
कुछ तो कम कर,
मै तेरा रोज का ग्राहक हूँ….
चढता ही जा रहा है, आँखो मे नशा मेरे ।
बढता ही जा रहा है , बेचैनी मेरे दिल मे ।
पागल नही हूँ पर वैसा ही, हाल हुआ है।
ऐ दर्द….
कुछ तो कम कर ,
मै तेरा रोज का ग्राहक हूँ….
लिखता ही जा रहा हूँ, रिसते हुए जख्म को।
शायद वो पढ सकेगी, हालात मेरे दिल के ।
कोशिश तो कर रहा हूँ , नाकाम हुआ है ।
ऐ दर्द….
कुछ तो कम कर,
मै तेरा रोज का ग्राहक हूँ….
पन्नो पे नाम लिख कर, तेरा फाड दे रहा हूँ।
रोते हुए भी खुद पे , हँसता ही जा रहा हूँ ।
तुझे भूलने की कोशिश , बार-बार किया है।
ऐ दर्द….
कुछ तो कम कर,
मै तेरा रोज का ग्राहक हूँ…
ये शेर की है कविता, भावों से जुडी बातें।
आसू नही थमे तो, शब्दों मे पिरो डाली ।
कहना ना चाहूँ फिर भी, दिल का हाल कहा है।
ऐ दर्द….
कुछ तो कम कर,
मै तेरा रोज का ग्राहक हूँ…..
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )