गणगौर त्योहार | Gangaur Tyohar par Kavita
गणगौर त्योहार
( Gangaur tyohar )
ईसर गौरी की पूजा होती पावन गणगौर का त्योहार।
गोरी सज धज शिव शंकर को वंदन करती बारंबार।
कुंवारी कन्याएं सोलह दिन गौरी पूजन कर आती।
जल दूब अर्पण शिव गौरी गौर गौर गोमती गाती।
सिंदूर मेहंदी चूड़ा चढ़ाती कर गोरी सोलह सिंगार।
मनचाहा वर दो शिव भोले देना खुशियों का अंबार।
सुख समृद्धि सौभाग्य हो सुहागिन सुहाग सुख पाए।
चंदन अक्षत धूप दीप ले सब गणगौर घर-घर मनाए।
रजवाड़ों से रीत पुरातन राजस्थान सदा रही शान।
हाथी घोड़े उंटो की झांकी गणगौर पर्व आलीशान।
ढोल नगाड़ा चंग बाजे गूंजे मधुर मुरलिया तान।
झूम झूम भंवर जी नाचे रसिया झूमे गाये गान।
गणगौर प्रेम सौहार्द का है पावन प्रमुख त्योहार।
सनातन संस्कृति हमारी पर्व खुशियों का उपहार।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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