दिल लगाते लगाते | Ghazal Dil Lagate Lagate
दिल लगाते लगाते
( Dil Lagate Lagate )
मुहब्बत में दिल को लगाते-लगाते,
भुला खुद को बैठे भुलाते-भुलाते !
कैसे हम बताये की कितना है हारे,
झूठा सा दिलासा, दिलातें-दिलातें !
गुजारे कई युग तेरी चाह रखकर,
कहाँ आ गए दिल दुखाते-दुखाते !
बंजर हो गए है ये नैना हमारे,
आँखों के ये आंसू छुपाते-छुपाते !
मुहब्बत का मुजरिम बताने लगे है,
वफाई को अपनी जताते-जताते !!