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एक मुद्दा हम उठा के रह गये | Heart touching ghazal

एक मुद्दा हम उठा के रह गये

( Ek mudda hum utha ke rah gaye )

 

 

एक मुद्दा हम उठा के रह गये

लोग सारे कसमसा के रह गये

 

वो बना भी तो नहीं है हम सफ़र

प्यार दिल में ही बसा के रह गये

 

दोस्त मेरा वो नहीं फ़िर भी बना

हाथ उससे ही मिला के रह गये

 

गुल मुहब्बत कब किया उसनें क़बूल

जुल्म  सहते  बेवफ़ा  के  रह  गये

 

और कहीं आँखें मिलाने में लगा

आँखें उससे यूँ मिला के रह गये

 

जोड़ लिए है रिश्ता उसनें और कहीं

दिल उसी से हम लगा के रह गये

 

अनसुना वो कर गया “आज़म” मुझे

हाले दिल  उससे  सुना के रह गये

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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