Jal par kavita | जल ही जीवन
जल ही जीवन
( Jal Hi Jeevan Hai )
बूॅ॑द -बूॅ॑द से घड़ा भरे, कहें पूर्वज लोग,
पानी को न व्यर्थ करें, काहे न समझे लोग।
जल जीवन का आधार है,बात लो इतनी मान।
एक चौथाई जल शरीर, तभी थमी है जान।
जल का दुरुपयोग कर, क्यों करते नुकसान।
जल से है सृष्टि सारी, जल से हैं ये प्राण।
जलाशय सब स्वच्छ रहें, इतना करें प्रण,
तब होगी जल सुरक्षा, बचा रहेगा जल।
जलस्रोतों का मान करें, करें सही उपयोग,
जीव निर्जीव का प्राण जल,मानो इसे सब लोग।