Kavita Aap Kahan Hain
Kavita Aap Kahan Hain

आप कहाँ हैं

( Aap Kahan Hain )

 

निवास क्षेत्र और कर्म क्षेत्र हि
है आपका जीवन क्षेत्र
इनके संग का व्यवहार ही
करता है प्रमाणित जीवन चरित्र

अनगिनत रास्ते हैं कर्म पथ के
पथ को मिलती है दिशा विवेक से
विवेक आता है संस्कार से
और संस्कार मिलते हैं संगत से

संगत आपके माहौल पर है
माहौल आपकी सोच पर है
सोच की जननी मानसिकता है
मानसिकता बनती है रुचि और जरूरत पर

जरूरतों मे सादगी भी है शौक भी
शौक कभी पूरी नही होती
सादगी मे कभी कमी नहीं होती
आचरण से आपकी पहचान है

असाधारण हो योनियों मे
साधारण से भी निम्न बनते हो
सोचिये कहाँ से कहाँ हो
जवाब खुद मे हि क्यों नहीं ढूंढते हो

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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