Kavita Bhagwan Sirf

भगवान सिर्फ लकीरें देता है | Kavita Bhagwan Sirf

भगवान सिर्फ लकीरें देता है

( Bhagwan sirf lakeeren deta hai )

 

भगवान सिर्फ लकीरें देता है, रंग हमें भरने होते हैं।
इस धरती पर हर इंसा को, शुभ कर्म करने होते हैं।

कदम कदम पे तूफानों से, संघर्षों से लड़ना होता है।
अपनी मेहनत के दम पर, कीर्तिमान गढ़ना होता है।

रंग बदलती दुनिया में, जीवन में रंग भरना होता है।
साहस भरकर मंजिलों पे, बढ़ कदम धरना होता है।

किस्मत की लकीरें भी, कर्म के साथ दमकती है।
बढ़ चला जो राहों में, तकदीर उनकी चमकती है।

सुख-दुख खुशी गम, खट्टे मीठे हैं अनुभव सारे।
भांति भांति के रंग भरते, जीवन में रिश्ते हमारे।

कुछ पाना कुछ खो देना, कुछ यादों में बस जाते हैं।
जीवन धारा बहती नित्य, गम अश्रु बन बह जाते हैं।

रिश्तो की डोर संभालो, मुस्कानों के मोती भाते हैं।
खुशियों के पल सुहाने, रंग जीवन में भर जाते हैं।

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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