आखिर मिल ही गया रिश्ता | Kavita rishta
आखिर मिल ही गया रिश्ता
( Akhir mil hi gaya rishta )
आखिर मिल ही गया आज हमारे लिए रिश्ता,
चार वर्ष से घूम रहें थें जिसके लिए मेरे पिता।
यें बाइसवीं साल में जो हमनें कदम रख दिया,
सतायें जा रहीं थी पिताजी को हमारी चिन्ता।।
कही पे लड़कें में कमी तो कहीं पर परिवार में,
कोई कम पढ़ा लिखा कोई मुझसे भी ज्यादा।
कही पर ना मिलता बड़े छोटे का हमारा जोड़,
तो कोई डिमांड-रखता दहेज़ में बहुत ज्यादा।।
कोई मीट मच्छी खाता कोई बेरोजगारी वाला,
कोई बदसूरत मिलता कोई नशा करनें वाला।
कोई लड़का बताता पिताजी वहीं चला जाता,
अब सुन लिया प्रभु नें जिसे पहनाउंगी माला।।
कभी कमी ना अखरने दी मुझको मेरी माॅं की,
ऐसे की तैयारियां पिताजी ने हमारे ब्याह की।
सब को कार्ड बांटे और कहतें गये पधारने को,
बहुत धूमधाम से करुॅंगा में शादी बिटियां की।।
सचमुच में महाविशाल शक्ति का नाम है पिता,
कहां से कैसे-कैसे की इतनी अच्छी व्यवस्था।
लज़ीज़ खाना व सजवाया बहुत सुंदर पांडाल,
दिया सभी प्रकार का सामान जो देने का था।।