शेर की कविताएं | Kavitayen Sher Ki
शेर की कविताएं
( Sher ki kavitayen )
हाँ दबे पाँव आयी वो दिल में मेरे, दिल पें दस्तक लगा के चली थी गयी।
खोल के दिल की कुण्डी मैं सोचूँ यही, मस्त खूँशबू ये आके कहा खो गयी॥
हाँ दबे पाँव….
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सोच मौका दोबारा मिले ना मिले, ढूँढने मै लगा जिस्म सें रूह तक।
पर वो मुझको दोबारा मिली ना कभी , जाने मुझको सता के कहा खो गयी॥
हाँ दबे पाँव…
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बात वर्षो पुरानी है पर ये मुझे, ऐसा लगता है जैसे की अब ही हुआ।
जब भी ठंडी हवाओ का झोकाँ उठे, मेरा दिल ये कहे तू यही पास है॥
हाँ दबे पाँव….
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शेर एहसास ए दिल में दबाए रखा, ख्वाब में भी सदा मुस्कराते रहा।
आज फिर मुझको खुँशबू मिली है वही, जाने ए महफिल मे तू ही कही तो नही॥
हाँ दबें पाँव….
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कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )