कुछ बातें दर्पण से भी कर लूं

Hindi Ghazal | Hindi Poem -कुछ बातें दर्पण से भी कर लूं

कुछ बातें दर्पण से भी कर लूं

( kuch Baten Darpan Se Bhi Kar Loon )

 

 

कुछ बातें दर्पण से भी कर लूं
शायद ख़ुद के होने का एहसास हो जाए।

 

 

समेटकर केश को जरा बांध लूं
स्त्री के मर्यादाओं का आभास हो जाए।

 

 

मुद्दत हो गए निहारे ख़ुद को
गुफ्तगू ख़ुद से कर हम निसार हो जाए।

 

 

नज़र मिली ही कहाँ उनसे अभी
एक बार मिले वो तो फिर सवाल हो जाए।

 

 

रूहानी मोहब्बत के सफ़र में
आहिस्ता आहिस्ता दिल कमाल हो जाए।

 

 

दिल्लगी लुभाती कहां है जिंदगी
कुछ ऐसा हो कि सब मालामाल हो जाए।

 

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लेखिका: नेहा यादव

( लखनऊ उत्तरपरदेश )

 

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