मदिरा में | Madira mein
मदिरा में
( Madira mein )
गिरने के हद से भी नीचे गिर जाते हैं लोग
संबंधों के बीच दीवार खड़ी कर देते हैं लोग
बेचकर ईमान अपना धर्म भी गंवा देते हैं लोग
करके हवन दान भी करम गँवा देते हैं लोग
चंद मतलब के लोभ में एहसान भुला देते हैं लोग
दिखाकर हैसियत अपनी अभियान जता देते हैं लोग
न्याय के बातों को तो सिर्फ मुंह से ही कहना है
ईमान को बचा,आग पर भी चला करते हैं लोग
खून के बँट जाने से रिश्ते पड़ोसी कहलाते हैं
पड़ोस में भाई-बहन को भी कहाँ तलाशते हैं लोग
सिमट गए हैं रिश्ते मोहन स्वार्थ के कमंडल में
गंगा के बदले पात्र मे मदिरा भर लेते हैं लोग
( मुंबई )