Hey Hans Vahini
Hey Hans Vahini

हे हंसवाहिनी,ऐसा वर दे

( Hey hans vahini aisa var do )

 

मृदुल मधुर ह्रदय तरंग,
स्वर श्रृंगार अनुपम ।
विमल वाणी ओज गायन,
ज्योतिर्मय अन्तरतम ।
गुंजित कर मधुमय गान ,
नव रस लहर मानस सर दे ।
हे हंसवाहिनी,ऐसा वर दे ।।

दुर्बल छल बल मद माया,
प्रसरित जग जन जन ।
दे निर्मल विमल मति,
तमस हर कण कण ।
नवगति नवलय जग अनूप,
नव दृष्टि नवल ज्ञान अमर दे।
हे हंसवाहिनी, ऐसा वर दे ।।

हे कृपानिधि करुणामय,
दया नीर कण छलका दो ।
प्यासे नयन अंतरस्थ,
निज स्वरूप झलका दो ।
पुलकित पावन चरण बिंदु,
स्पर्श स्तुति अष्ट याम असर दे ।
हे हंसवाहिनी, ऐसा वर दे ।।

समय काल स्वर्ण आभा,
सर्वत्र मोद उल्लास ।
आजीवन अथाह कृपा,
प्रबल आस्था विश्वास ।
प्रेम सुमन महके जीवन ,
सर्व सुख समृद्धि आगार भर दे ।
हे हंसवाहिनी , ऐसा वर दे ।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

यह भी पढ़ें:-

श्री कृष्ण प्रेम | Shri Krishna Prem 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here