Hindi Poetry On Life | मै इक सोनार हूँ
मै इक सोनार हूँ
( Main Ek Sonar Hun )
मै इक सोनार हूँ जिसकी चाहत जग वैभव से भरा रहे।
इस जग के सारे नर नारी स्वर्ण आभूषण से लदे रहे।
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मेरी शुभ इच्छा रही सदा हर इक घर में मंगल गीत बजे।
या तेरी हो या मेरी हो माँ बहन बेटियाँ सजी र हे।
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हम मंगलमुखी धरातल के मंगल की चाह सदा रखते।
हम ऐसी जाति से आते है जो तेरी खुशी मे खुश रहते।
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हम प्रेम भाव से बँधे हुए सौन्दर्य कामना करते है।
इस जग की हर इक नारी में लक्ष्मी का दर्शन करते है।
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मैने जिसका निर्माण किया वो स्वर्ण आभूषण रत्नजडित।
माता का मुकँट या पैजनीया उसमें भी मुक्ता मडित दिया।
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कोई भी अंग नही बाकी जिसको ना हमने स्वर्ण दिया।
जिस धातु को हम स्पर्श करे उसको ही कुन्दन रूप दिया।
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हम थोडे मे सन्तुष्ट रहे कटु वचनों से भी छले गये।
पर शेर ये जो स्वर्ण जाति है तेरे हित में ही रमे रहे।
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कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )