Best Hindi Kavita | Best Hindi Poetry -मन की बातें
मन की बातें
( Man ki Baaten )
इस रात मे तन्हाई हैं, बस मैं हूँ और परछाई है।
खामोश से इन लम्हों में, हुंकार और रूसवाई है।
ऐसे मे तुम आ जाओ गर,खामोशी में शहनाई है।
कहता है मन बेचैन है,तुम आ मिलो ऋतु आई है।
ठण्डी हवा मदमस्त है,फिंजा मे खुशंबू छाई है।
और चाँद ने भी चाँदनी संग,श्वेत रंग बिछाई है।
उम्मीद है तुम पे खुमारी, प्यार की भी छाई है।
तुम तोड कर बन्धन सभी,आ जा बहारे आई है।
मन बाँधों मत मन खोल दो,तुम राज सारे खोल दो।
जो बात मन मे है तुम्हारे, हुंकार को आ बोल दो।
तब देखना मन के महल में, उत्सवों के दौर कों।
संगीत की सुर लहरिया, अरू शेर रंग और ढंग को।
कोशिश करो डरना है क्या,जालिम बने समाज से।
आओ चलो चलते है हम, सपनों के इक संसार मे।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )