मत उलझो तुम सवालों में | Mat Uljho
मत उलझो तुम सवालों में
( Mat uljho tum sawalon mein )
क्या सोचेंगे दुनिया वाले, तो रह लेना हर हालों में।
चलते जाना मंजिल को, मत उलझो तुम सवालों में।
बाधाएं भी नजर आएंगी, मुश्किलें भी बहकाएंगी।
अड़चनों को पार करना, प्यारे मंजिल मिल जाएगी।
प्रलोभन में पड़ न जाना, फंस मत जाना जालों में।
लक्ष्य को साधे रखना, मत उलझो तुम सवालों में।
कोई तुम्हें कमियां गिनवाता, कोई टांग खींचना है।
कोई मरता देखे फिर भी, अपनी आंख मींचता है।
फूंक फूंक कर कदम रखना, शतरंजी हर चालों पे।
ध्येय ध्यान धर पाओ, मत उलझो तुम सवालों में।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )