Mere Ram

मन में बसे मेरे राम | Mere Ram

मन में बसे मेरे राम

( Man me Base mere Ram )

 

मन में बसे मेरे राम…श्रीराम,
मन में बसे मेरे राम…।
प्रेम से बोलो जय श्रीराम…श्रीराम,
मन में बसे मेरे राम…।।

श्रृद्धा भाव से मैं आया हूं, यह पावन अयोध्या धाम,
अहो भाग्य से ही आया हूं, जन्मभूमि है बानूर ग्राम।
ज्ञान अज्ञान के उपदेश में, पूज्यगुरु का पूर्ण संज्ञान,
रामनाम अब धड़कन में, प्रथम माता-पिता भगवान।
‘हरिप्रेम’ करे नित्य गुणगान…श्रीराम,
प्रेम से बोलो जय श्रीराम…श्रीराम।
मन में बसे मेरे राम…श्रीराम,
मन में बसे मेरे राम…।।

विश्वास भी पूर्ण लाया हूं, दर मंदिर में करने प्रणाम,
प्रिय संदेशा यह लाया हूं, मैं पूर्वजों का स्नेह पैगाम।
इच्छा मेरी यह चाहूंगा, भक्तो के तुम प्यारे भगवान,
श्री चरण में सदा रहूंगा, चाहे जीवन हो मेरा कुर्बान
‘हरिप्रेम’ करे नित्य प्रणाम…श्रीराम,
प्रेम से बोलो जय श्रीराम…श्रीराम।
मन में बसे मेरे राम…श्रीराम,
मन में बसे मेरे राम…।।

 

हरिदास बड़ोदे ‘हरिप्रेम’
शिक्षाविद/गीतकार/लोकगायक/समाजसेवी
आमला, जिला- बैतूल (मध्यप्रदेश)

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दो और दो पांच | लघुकथा सह आत्मकथा

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