मेरे यार से तुम मुखातिब करा दो | Mere Yaar Se
मेरे यार से तुम मुखातिब करा दो
मेरी कैफ़ियत को मुनासिब करा दो,
मुहब्बत का मसला है वाज़िब करा दो।
रहेगा ये अहसान मुझ पर हमेशा
मेरे यार से तुम मुखातिब करा दो।
दुआ ना दया को किसी से कहेंगे
सनम बस हमारे मुसाहिब करा दो !
रहेगी शिकायत न जग से कभी फिर,
ज़रा इक मुलाक़ात वाज़िब करा दो !
करे इल्तिजा हम सभी से यही बस,
मुहब्बत ‘धरम’ की मरातिब करा दो !!
डी के निवातिया