मिली जब से मुहब्बत

मिली जब से मुहब्बत

मिली जब से मुहब्बत

मिली जब से मुहब्बत हम सफ़र की बात करते हैं
हुईं पूरी मुरादें , रहगुज़र की बात करते हैं

बड़े नादान है अब पूछते दिल में हमारे क्या
ये दिल हम हार बैठे अब जिगर की बात करते हैं

सफ़ीना आज मेरा जब फँसा है इस भँवर में तो
करें हम याद रब को और लहर की बात करते हैं

अकेला छोड़ के मुझको चला फिर कारवाँ ये तो
सितारे हैं खफ़ा यारा सहर की बात करते हैं

जलायी हैं बहुत ही मोमबत्ती याद में हम तो
जलाने को घिनौने अब बशर की बात करते हैं

लगी कैसी हवा इस गाँव को तो आज देखो तुम
बडे बूढ़े भी सुन अब तो नगर की बात करते हैं

क़फ़स में काट डाला था जिन्हे सैय्याद ज़ालिम ने
नये जो आ गये पंछी के पर की बात करते हैं

मिला है मुद्दतों के बाद देखो वक्त ये मीना
चलो सब कुछ भुलाके आज घर की बात करते हैं

Meena Bhatta

कवियत्री: मीना भट्ट सि‌द्धार्थ

( जबलपुर )

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