मिठास | Mithaas
मिठास
( Mithaas )
लग जाती है अगर दिल को
कही किसी की बात तुम्हें
तो लगती होगी तुम्हारी भी कही
क्या कभी सोच हो तुमने इस बात को भी
बातों का असर
कभी एक पर ही नहीं पड़ता
यह चीर हि देती है हृदय
जिस किसी के लिए भी कहीं जाए
चाहते हो जिस चीज को तुम पाना
वही और भी पाना चाहते हैं तुमसे
नियम एक ही अटल है दुनिया में
पाओगे वही जो बांटोगे और को
भावनाएं अलग नहीं होतीं सभी में
एक जैसी हैं, प्राणवायु की तरह
परिस्थितियाँ मूल होती हैं व्यक्ति की
मजबूरी के साथ मजबूर होता है इंसान भी
प्रतिफल से अलग फल नहीं मिलता
खिल तो जाता है कमल कीचड़ में भी
किंतु, सागर में कमल नहीं खिलता
मिठास जरूरी है हृदय के मिलन में
( मुंबई )