मोहिनी नारी | Mohini Nari
मोहिनी नारी
( Mohini nari )
आयुद्धों से भरे हुए भण्डार है मोहिनी नारी के।
नयना तीर कमान बिछाये जाल है मोहिनी नारी के।
माया ममता महबूबा से भाव है मोहिनी नारी के।
अभी तो है शुरूवात अनेको रंग है मोहिनी नारी के।
शतरूपा से शुरू हुआ संसार है मोहिनी नारी के।
त्रिदेवी का नाम हुआ अवतार है मोहिनी नारी के।
जटिला भामा भोगदा यह सृष्टि है मोहिनी नारी के।
शेर करे शुरूवात लिखे काव्य है मोहिनी नारी के।
उदित भाग्य बाबुल करे श्रृँगार है मोहिनी नारी के।
बेटी बने सौभाग्य गढे सम्मान है मोहिनी नारी के।
दो घर जोडे आप बढाए मान है मोहिनी नारी के।
ईश्वर का वरदान बनाए भाग्य है मोहिनी नारी के।
सृजन करे संघार दे जीवनदान है मोहिनी नारी के।
धरा समाहित आचँल मे सृष्टि है मोहिनी नारी के।
शेर कहे इक बात हृदय से मान है मोहिनी नारी के।
त्याग की है भंडार नही लाचार है मोहिनी नारी के।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )