मुझे अपने काबिल बना ज़िन्दगी
मुझे अपने काबिल बना ज़िन्दगी
मुझे अपने काबिल बना ज़िन्दगी
नहीं ऐसे ठोकर लगा ज़िन्दगी
हमें भी तो जीना सिखा ज़िन्दगी
नई राह कोई दिखा ज़िन्दगी
किसी रोज़ उनसे मिला ज़िन्दगी
पता उनका मुझको दिला ज़िन्दगी
बने बुत हैं बैठे मेरे ईश तो
उन्हें हाल मेरा सुना ज़िन्दगी
मिली ही नही है जिसे छाँव कल
उसे धूप से मत डरा ज़िन्दगी
चले आ रहे हैं सभी स्वार्थ बस
मेरा इनसे दामन बचा ज़िन्दगी
कभी तो कोई बनके अपना मिले
मुझे भी उन्हीं से मिला ज़िन्दगी
तरसता रहा जिस खुशी के लिए
खुशी वो प्रखर को दिला ज़िन्दगी
( बाराबंकी )
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